श्री संकटहर गणेश अष्टकम स्तोत्र(हिंदी अर्थ सहित)Sankat Haran Ganesh Ashtakam Lyrics

श्री संकटहर गणेश स्तोत्रम्

Table of Contents

श्री संकटहर गणेश स्तोत्रम् 

श्री संकटहर गणेश स्तोत्रम् की भूमिका

हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश को ‘विघ्नहर्ता’, ‘संकटमोचन’ और ‘सर्वप्रथम पूज्य’ देवता के रूप में पूजा जाता है। कोई भी शुभ कार्य हो — विवाह, गृह प्रवेश, परीक्षा, व्यापार आरंभ या पूजा-पाठ — सबसे पहले गणेश जी की वंदना की जाती है, ताकि कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो। इसी श्रद्धा और विश्वास का स्वरूप है “श्री संकटहर गणेश स्तोत्रम्”, जिसकी रचना स्वयं देवर्षि नारद ने की थी।

यह स्तोत्र भगवान गणेश के बारह शक्तिशाली नामों का स्मरण कर उनके विभिन्न स्वरूपों का ध्यान कराता है। इन नामों का जप करने से जीवन के हर प्रकार के संकट, विघ्न, दुख और मानसिक क्लेश समाप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, वह विद्या, धन, संतान, स्वास्थ्य और मोक्ष — इन सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है।

इस स्तोत्र का पाठ करने से न केवल हमारी आत्मा शुद्ध होती है, बल्कि हमारी चेतना भी उच्चतर स्तर तक जागृत होती है। यह एक ऐसा सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली साधन है जो आध्यात्मिक और सांसारिक — दोनों क्षेत्रों में संतुलन प्रदान करता है।

“श्री संकटहर गणेश स्तोत्रम्” न केवल भक्तों की रक्षा करता है, बल्कि उन्हें हर क्षेत्र में सिद्धि, समृद्धि और सुरक्षा भी प्रदान करता है। यह स्तोत्र श्रद्धा, विश्वास और नियमितता से पढ़ा जाए तो यह जीवन को बदलने की शक्ति रखता है।

॥ श्री संकटहर गणेश स्तोत्रम् ॥

(Shree Sankatahara Ganesha Stotram)

रचयिता: नारद मुनि

श्लोक 1

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।

भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये॥

अनुवाद:

मैं सिर झुकाकर माता गौरी के पुत्र, श्री विनायक को प्रणाम करता हूँ।

वे भक्तों के हृदय में निवास करते हैं। जो व्यक्ति प्रतिदिन उनका स्मरण करता है, उसे आयु, कामना और धन की प्राप्ति होती है।

श्लोक 2

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।

तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥

अनुवाद:

पहले वक्रतुण्ड गणेशजी का स्मरण करें, दूसरे एकदन्त का।

तीसरे कृष्ण वर्ण वाले पीत नेत्र वाले गणेशजी और चौथे गजमुख वाले गणेशजी का स्मरण करें।

श्लोक 3

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥

अनुवाद:

पाँचवें लम्बोदर, छठे विकट रूपी गणेशजी।

सातवें विघ्नों के स्वामी और आठवें धुएँ के रंग वाले (धूम्रवर्ण) गणेशजी का स्मरण करें।

श्लोक 4

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥

अनुवाद:

नववें मस्तक पर चंद्र धारण करने वाले, दसवें विनायक।

ग्यारहवें गणपति और बारहवें हाथीमुख गणेशजी का स्मरण करें।

श्लोक 5

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥

अनुवाद:

जो मनुष्य इन बारह नामों का पाठ दिन में तीन बार करता है,

उसे किसी प्रकार के विघ्न का भय नहीं होता और प्रभु उसे सभी सिद्धियाँ प्रदान करते हैं।

श्लोक 6

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥

अनुवाद:

जो विद्यार्थी हैं, वे विद्या प्राप्त करते हैं। धन की इच्छा करने वाले धन प्राप्त करते हैं।

संतान चाहने वालों को संतान की प्राप्ति होती है और मोक्ष की कामना रखने वाले मुक्ति को प्राप्त करते हैं।

श्लोक 7

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥

अनुवाद:

यदि कोई व्यक्ति इस गणपति स्तोत्र का छह महीने तक जप करता है,

तो वह फल प्राप्त करता है। एक वर्ष में वह सिद्धि को प्राप्त करता है — इसमें कोई संदेह नहीं है।

श्लोक 8

अष्टेभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥

अनुवाद:

जो व्यक्ति इस स्तोत्र को आठ ब्राह्मणों को लिखकर भेंट करता है,

उसे गणेशजी की कृपा से सम्पूर्ण विद्याओं की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष 

“श्री संकटहर गणेश स्तोत्र” भगवान गणेश के बारह नामों का स्मरण है, जो जीवन के हर संकट को दूर करने की शक्ति रखते हैं। यह स्तोत्र न केवल हमारे कार्यों को निर्विघ्न बनाता है, बल्कि मन, बुद्धि, स्वास्थ्य और जीवन के हर पहलू में शुभता लाता है। इसका नियमित पाठ करने से विद्यार्थी विद्या प्राप्त करते हैं, धन की इच्छा रखने वाले समृद्ध होते हैं, संतान की चाह रखने वाले अभिभावक बनते हैं और मोक्ष की कामना करने वाले आत्मिक शांति को प्राप्त करते हैं। “श्री संकटहर गणेश स्तोत्र” सरल होते हुए भी अत्यंत प्रभावशाली है और हर आयु के व्यक्ति के लिए लाभकारी है। चाहे कोई नया कार्य शुरू हो या जीवन में कठिनाइयाँ हों, संकटहर स्तोत्र का पाठ आपको दिव्य ऊर्जा और गणेश जी की कृपा का अनुभव कराता है। यह भक्ति, श्रद्धा और समाधान का संपूर्ण स्रोत है।

 “श्री संकटहर गणेश स्तोत्र” क्यों पढ़ना चाहिए?

1. नाम-स्मरण का अद्भुत प्रभाव

यह स्तोत्र भगवान गणेश के 12 पवित्र नामों का स्मरण है।

शास्त्रों के अनुसार, नाम स्मरण सबसे सरल और प्रभावशाली साधना मानी जाती है।

जो नामों से संकट हटते हैं, विध्न नष्ट होते हैं, समृद्धि आती है — ऐसे नामों का जप हर किसी के जीवन में शांति और सिद्धि लाता है।

2. हर प्रकार के संकटों का नाशक

“संकटहर” यानी संकट को हरने वाला।

यह स्तोत्र विशेष रूप से जीवन के दुखों, मानसिक तनाव, कार्य में रुकावट, परीक्षा में असफलता, विवाह में देरी, संतान की समस्या आदि को दूर करता है।

3. विविध फलदायिनी स्तुति (व्यक्तिगत लाभ)

श्लोक 6 में स्पष्ट रूप से कहा गया है:

विद्यार्थी को विद्या मिलती है

धन की इच्छा रखने वाला धन प्राप्त करता है

संतान चाहने वाला संतान पाता है

मोक्ष चाहने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है

यानी यह स्तोत्र सभी चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को संतुलित करता है।

4. सिद्धि और सफलता का मार्ग

यदि कोई व्यक्ति 6 महीने तक इस स्तोत्र का जप करे तो फल की प्राप्ति होती है,

और यदि 1 वर्ष तक निष्ठा से पढ़े तो उसे सिद्धि (spiritual and material mastery) प्राप्त होती है।

इससे व्यवसाय, करियर, पढ़ाई, विवाह, गृहस्थी — हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

5. पूजा के पहले गणपति स्तुति का महत्व

गणेश जी को ‘प्रथम पूज्य’ कहा गया है।

किसी भी कार्य को करने से पहले यदि हम यह स्तोत्र पढ़ें, तो उस कार्य में विघ्न नहीं आते और कार्य सफलता को प्राप्त होता है।

“श्री संकटहर गणेश स्तोत्र” के विशेष लाभ (विस्तृत विवरण)

विघ्नों का नाश:

इस स्तोत्र के नियमित पाठ से जीवन में आने वाले सभी प्रकार के विघ्न-बाधाएं समाप्त होती हैं। कार्यों में जो बार-बार रुकावटें आती हैं, चाहे वे मानसिक हों, सामाजिक हों या आध्यात्मिक — उनका नाश होता है और सफलता के मार्ग खुलते हैं।

पढ़ाई में सफलता:

छात्रों के लिए यह स्तोत्र अत्यंत फलदायी माना गया है। इसका जप करने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है, पढ़ाई में मन लगता है और परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है। यह विद्यार्थियों को मानसिक स्थिरता और एकाग्रता प्रदान करता है।

संतान प्राप्ति:

जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही हो, उनके लिए यह स्तोत्र आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी सिद्ध होता है। गणेश जी को संतान-सुख का प्रदाता भी कहा गया है। भक्तिभाव से जप करने पर ईश्वर कृपा अवश्य मिलती है।

आर्थिक उन्नति:

व्यापार, नौकरी, धन-संपत्ति या अन्य आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह स्तोत्र वरदान है। यह न केवल आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि नए अवसरों के द्वार खोलता है।

मानसिक शांति:

चिंता, भय, तनाव, अवसाद जैसे मानसिक विकारों को शांत करने में यह स्तोत्र अद्भुत रूप से प्रभावी है। इसके पाठ से मन में सुकून आता है और भावनात्मक स्थिरता प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक उत्थान:

जो व्यक्ति ईश्वर की भक्ति में स्थिर रहना चाहता है, उसके लिए यह स्तोत्र अत्यंत कल्याणकारी है। यह आत्मबल को जागृत करता है, साधक को एकाग्रता देता है और जीवन के उच्च उद्देश्य की ओर प्रेरित करता है।

पढ़ने का तरीका (पाठ विधि):

प्रतिदिन सुबह स्नान कर शांत मन से श्रीगणेश की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें

दीपक और दूर्वा चढ़ाएं।

3, 7 या 11 बार पाठ करें।

चाहें तो शुक्रवार को विशेष संकल्प लेकर 21 दिन पाठ करें।

संकटहर गणेश स्तोत्र से जुड़े कुछ प्रमुख प्रश्न और उत्तर

क्या यह स्तोत्र किसी विशेष दिन पढ़ना चाहिए?

उत्तर:

शुक्रवार, चतुर्थी तिथि या गणेश चतुर्थी को पढ़ना अत्यंत फलदायी होता है, परंतु इसे प्रतिदिन पढ़ सकते हैं।

क्या इसे किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए पढ़ सकते हैं?

उत्तर:

हाँ, जैसे नौकरी की बाधा, विवाह में रुकावट, संतान में विलम्ब आदि — हर परेशानी में यह स्तोत्र चमत्कारी सिद्ध हो सकता है।

क्या यह स्तोत्र बच्चों द्वारा भी पढ़ा जा सकता है?

उत्तर:

बिल्कुल। इसे बच्चे भी पढ़ सकते हैं, जिससे उनकी बुद्धि, ध्यान और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।

क्या इसे लिखकर ब्राह्मणों को देना आवश्यक है?

उत्तर:

यह वैकल्पिक है। जो भक्त इस स्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को अर्पित करता है, उसे अत्यधिक ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।

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