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Toggle16मुखी रुद्राक्ष का परिचय:
16 मुखी रुद्राक्ष को भगवान काल भैरव का प्रतीक माना जाता है। इसे महा सुरक्षा कवच और सर्वविघ्ननाशक रुद्राक्ष भी कहा जाता है। यह रुद्राक्ष जीवन की हर दिशा से रक्षा करता है – चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक, आध्यात्मिक, या भौतिक। इसे धारण करने वाला व्यक्ति भयमुक्त, निर्भीक, सफल और सुरक्षित जीवन जीता है।
यह रुद्राक्ष विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनका जीवन बार-बार बाधाओं, दुश्मनों, भय और अदृश्य शक्तियों से घिरा रहता है।
16 मुखी रुद्राक्ष क्या है?
16 मुखी रुद्राक्ष वह पवित्र बीज होता है जिसमें सोलह धारियाँ या मुख होते हैं। यह अत्यंत दुर्लभ, शक्तिशाली और सभी प्रकार के संकटों को नष्ट करने वाला माना गया है। इसे “कालभैरव कवच रुद्राक्ष” भी कहा जाता है।
विशेषताएँ:
आकार: अंडाकार या गोल
रंग: गहरा भूरा या तांबे जैसा
ऊर्जा: उग्र, रक्षक, परंतु भीतर से शांत और संतुलित
16 मुखी रुद्राक्ष के देवता
मुख्य देवता:
भगवान काल भैरव – समय के स्वामी, मृत्यु के विजेता, भय नाशक
भगवान शिव – रुद्र स्वरूप में
गुप्त शक्ति:
अदृश्य और अकस्मात दुर्घटनाओं से रक्षा, मृत्यु पर विजय, दुश्मनों से सुरक्षा
16 मुखी रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ
सर्वरक्षण कवच:
अग्नि, जल, दुर्घटना, चोरी, धोखा, षड्यंत्र से रक्षा
तांत्रिक क्रियाओं, टोने-टोटके, काले जादू से पूर्ण सुरक्षा
रोग, अकाल मृत्यु और नकारात्मक ऊर्जा का नाश
मानसिक और आत्मिक बल:
भय, भ्रम, चिंता और आत्म-संशय को हटाता है
आत्मबल, धैर्य और स्थिरता देता है
साधना और तंत्र में मानसिक रक्षा प्रदान करता है
सफलता और निर्णय शक्ति:
निर्णय लेने में स्पष्टता
कार्यों में रुकावट दूर कर सफलता की ओर अग्रसर करता है
कठिन परिस्थितियों में मार्गदर्शन और विजयीता
भावनात्मक संतुलन:
अनावश्यक चिंता और असुरक्षा की भावना को दूर करता है
परिवार और संबंधों में स्थिरता लाता है
किन लोगों को 16 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए?
जो भय, बुरे सपनों, और अदृश्य शक्तियों से ग्रस्त हैं
जो साधना, तंत्र या मंत्र में कार्यरत हैं
जिनके जीवन में बार-बार दुर्घटनाएँ, रुकावटें या नुकसान हो रहा हो
जिनकी कुंडली में शनि, राहु, या मृत्यु योग हो
जो अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होना चाहते हैं
16 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि
शुभ दिन:
शनिवार, अमावस्या या भैरव अष्टमी
शुद्धिकरण विधि:
गंगाजल, शहद, दूध और पंचामृत से स्नान कराएँ
भस्म या लाल चंदन से तिलक करें
काल भैरव जी के समक्ष दीप, धूप और नींबू अर्पित करें
मंत्र जाप:
ॐ ह्रीं कालभैरवाय नमः
(या)
ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे… (मृत्युंजय मंत्र)
108 बार मंत्र जाप करें और रुद्राक्ष को धारण करें
पहनने का तरीका:
काले धागे, ताम्बे या चाँदी की चेन में
गले या बाजू में पहन सकते हैं
रात्रिकाल या ब्रह्ममुहूर्त में धारण करना श्रेष्ठ
16 मुखी रुद्राक्ष पहनते समय सावधानियाँ
मांस, मदिरा, असत्य, छल और अधार्मिक कर्मों से बचें
शौच, सहवास, या स्नान के समय उतार दें
किसी को छूने न दें, न ही सार्वजनिक रूप से दिखाएँ
हर शनिवार इसे गंगाजल से शुद्ध करें और भैरव मंदिर में दीप अर्पित करें
रात्रिकाल में हनुमान चालीसा और भैरव स्तुति का पाठ करें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या 16 मुखी रुद्राक्ष से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है?
हाँ, यह विशेष रूप से मृत्युयोग, अपघात और गंभीर संकटों से रक्षा करता है।
क्या यह रुद्राक्ष सभी के लिए उपयुक्त है?
यह शक्तिशाली रुद्राक्ष है, संयमी, साधक, या जिनका जीवन संकटपूर्ण हो – वे ही इसे धारण करें।
क्या महिलाएँ इसे पहन सकती हैं?
हाँ, लेकिन नियम, संयम और पवित्रता के साथ ही।
क्या इसे रोज़ पहनना आवश्यक है?
हाँ, लेकिन इसे नियमपूर्वक और आदर के साथ पहनना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
16 मुखी रुद्राक्ष केवल एक रुद्राक्ष नहीं, यह भगवान काल भैरव का जीवंत सुरक्षा कवच है।यह व्यक्ति को जीवन के हर प्रकार के संकट, बाधा और भय से मुक्त करता है और उसे आत्मविश्वासी, निर्भीक और सफल बनाता है।श्रद्धा और नियम से धारण करने पर यह रुद्राक्ष मृत्यु को भी परास्त करने की शक्ति देता है।
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