14 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, पहनने की विधि, मंत्र और सावधानियाँ।

14 मुखी रुद्राक्ष

14मुखी रुद्राक्ष का परिचय:

14 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का तीसरा नेत्र कहा जाता है। इसे देवमणि और महाशक्तिशाली रुद्राक्ष माना गया है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को भविष्यदृष्टि, निर्भयता, तीव्र निर्णय शक्ति और आध्यात्मिक जागरण प्रदान करता है। यह जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और विजय का प्रतीक है।

इसे भगवान शिव ने स्वयं श्रीराम को रावण वध से पहले प्रदान किया था, ताकि वे धर्म की स्थापना में अडिग रहें।

14 मुखी रुद्राक्ष क्या है?

14 मुखी रुद्राक्ष वह दिव्य बीज है जिसमें चौदह प्राकृतिक धारियाँ (मुख) होती हैं। यह अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली माना जाता है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति भगवान शिव और हनुमान – दोनों की कृपा का पात्र बनता है।

विशेषताएँ:

आकृति: अंडाकार या लंबी गोल

रंग: गहरा भूरा या काला

बनावट: चौदह धारियाँ, गहरी और स्पष्ट

14 मुखी रुद्राक्ष के देवता

मुख्य देवता:

भगवान शिव (महादेव) – त्रिनेत्रधारी, परम चेतना

हनुमान जी – पराक्रम, भक्ति और रक्षा

गुप्त शक्ति:

तीसरे नेत्र की जागृति, भविष्यदृष्टि, छठी इंद्री का जागरण

14 मुखी रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ

मानसिक और अंतर्दृष्टि लाभ:

तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) की शक्ति को जागृत करता है

निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है

भविष्य में आने वाली घटनाओं का पूर्वाभास देता है

आत्मरक्षा और सुरक्षा:

दुश्मनों से रक्षा

टोने-टोटके, भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा से छुटकारा

वीरता और निर्भयता प्रदान करता है

करियर और नेतृत्व में सफलता:

व्यवसाय, राजनीति और निर्णय लेने वाले कार्यों में सफलता

उच्च प्रशासनिक पद, नेतृत्व क्षमता में वृद्धि

धोखाधड़ी, हानि और छल से बचाव

आध्यात्मिक जागरण:

तंत्र-मंत्र साधना में स्थिरता

कुंडलिनी जागरण में सहायक

ध्यान, समाधि और अंतर्यात्रा को गहरा करता है

किन लोगों को 14 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

जो उच्च निर्णयात्मक पदों, न्याय, सेना, नेतृत्व में हों

जो भविष्य की दृष्टि और अंदरूनी चेतना को जागृत करना चाहते हों

जो तंत्र, ध्यान, साधना और मंत्र शक्ति को प्राप्त करना चाहते हों

जिनकी कुंडली में शनि, मंगल या राहु दोष हो

जिनका जीवन संघर्षपूर्ण हो, लेकिन वे अडिग और सफल बनना चाहते हों

14 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि

शुभ दिन:

सोमवार या शनिवार – शिव और हनुमान जी से संबंधित

शुद्धिकरण विधि:

रुद्राक्ष को गंगाजल, दूध, शहद से शुद्ध करें

लाल चंदन या भस्म से तिलक करें

भगवान शिव और हनुमान जी के समक्ष रखें

मंत्र जाप:

ॐ नमः शिवाय

(या)

ॐ हनुमते नमः

ॐ शिवाय चक्षुषे नमः

108 बार मंत्र जाप करें और फिर रुद्राक्ष को धारण करें

पहनने का तरीका:

लाल या काले धागे, तांबे या चाँदी की चेन में

गले में या दाएँ बाजू में पहनें

“आज्ञा चक्र” पर साधना के समय प्रयोग करें

14 मुखी रुद्राक्ष पहनते समय सावधानियाँ

मांस, मदिरा, क्रोध और अहंकार से दूर रहें

शौच, स्नान या यौन संबंध के समय इसे उतार दें

इसे किसी अन्य को न दें या स्पर्श न करने दें

हर सोमवार या अमावस्या पर शुद्ध करें

इसका प्रयोग केवल श्रद्धा और साधना भाव से करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या 14 मुखी रुद्राक्ष से भविष्यदृष्टि आती है?

हाँ, यह तीसरे नेत्र को जागृत करता है जिससे आंतरिक चेतना और पूर्वाभास की शक्ति बढ़ती है।

क्या यह व्यापार में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाता है?

बिलकुल! यह रुद्राक्ष आपकी बुद्धि, आत्मबल और निर्णय क्षमता को तीव्र करता है।

क्या यह तंत्र-मंत्र के लिए उपयुक्त है?

जी हाँ, यह उच्च साधकों, योगियों और तांत्रिकों के लिए बहुत ही उपयोगी और प्रभावशाली रुद्राक्ष है।

क्या महिलाएँ भी इसे पहन सकती हैं?

हाँ, लेकिन उन्हें संयम, पवित्रता और नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

निष्कर्ष:

14 मुखी रुद्राक्ष एक अत्यंत दुर्लभ, प्रभावशाली और जाग्रत रुद्राक्ष है।यह न केवल आपको आत्मबल और निर्णय शक्ति देता है, बल्कि तीसरे नेत्र की जागृति, आत्मज्ञान और विजय की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है।श्रद्धा और नियम से पहनने पर यह रुद्राक्ष जीवन को चमत्कारिक रूप से बदल सकता है।

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