15 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, पहनने की विधि, मंत्र और सावधानियाँ।

15 मुखी रुद्राक्ष

15मुखी रुद्राक्ष का परिचय:

15 मुखी रुद्राक्ष को पंचदशी रूपी पवित्रता और पितृ दोष निवारण का रत्न माना जाता है। इसका संबंध पितरों, कल्पवृक्ष, और पवित्र मनोवांछाओं की पूर्ति से है। यह रुद्राक्ष विभिन्न जन्मों के कर्मों को शांत करता है, आध्यात्मिक उन्नति का द्वार खोलता है, और जीवन में शांति, वैराग्य और सिद्धि लाता है।

यह रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ है और बहुत ही शांत, गंभीर, और गूढ़ साधना के लिए धारण किया जाता है।

15 मुखी रुद्राक्ष क्या है?

15 मुखी रुद्राक्ष वह दिव्य बीज है जिसमें पंद्रह स्पष्ट मुख या धारियाँ होती हैं। इसे “कल्पवृक्ष रुद्राक्ष” भी कहा जाता है क्योंकि यह इच्छाओं की पूर्ति करता है, परंतु केवल उन्हीं के लिए जो संयमी, भक्त और साधना में गंभीर हैं।

विशेषताएँ:

आकार: मध्यम आकार, गूढ़ खांचे

रंग: गहरा भूरा

ऊर्जा: अत्यंत शांत, लेकिन गहरी और स्थायी

15 मुखी रुद्राक्ष के देवता

मुख्य देवता:

पशुपति भगवान शिव (रूद्र रूप में)

कल्पवृक्ष स्वरूप

पितृलोक के शुद्ध कर्मों के स्वामी

गुप्त शक्ति:

पितृ दोष की शांति, कर्म बंधन मुक्ति, मनोवांछित सिद्धि

15 मुखी रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ

आध्यात्मिक लाभ:

पुराने जन्मों के पाप और दोषों से मुक्ति

मोक्ष प्राप्ति की दिशा में सहायता

वैराग्य और आत्मिक शांति का संचार

पितृ दोष निवारण:

कुंडली में पितृ दोष, पूर्वजों के अशुभ प्रभाव को शांत करता है

पूर्वजों की आत्मा को शांति और जीवन में समृद्धि

भावनात्मक संतुलन और प्रेम:

प्रेम संबंधों में संतुलन

अनावश्यक आसक्ति या भावनात्मक संघर्ष से मुक्ति

हृदय चक्र को शुद्ध करता है

मानसिक और निर्णयात्मक लाभ:

निर्णय लेने की क्षमता

भ्रम, भय और दुविधा से मुक्ति

अंतःकरण में शुद्धता और दृष्टिकोण में स्पष्टता

किन लोगों को 15 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

जिनकी कुंडली में पितृ दोष है

जो पूर्व जन्मों के कर्मों से मुक्ति चाहते हैं

जो ध्यान, तप, या उच्च साधना में आगे बढ़ना चाहते हैं

जिन्हें बार-बार भावनात्मक असंतुलन या दिल से जुड़े दर्द हों

जो मनोवांछित सिद्धि के पथ पर हैं

15 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि

शुभ दिन:

अमावस्या, श्राद्ध पक्ष, या सोमवार

शुद्धिकरण विधि:

गंगाजल, दूध, शहद, और तुलसी जल से स्नान कराएँ

रुद्राक्ष पर हल्दी और चंदन का तिलक करें

पूर्वजों का स्मरण कर भगवान पशुपति के सामने दीपक जलाएँ

मंत्र जाप:

ॐ नमः शिवाय

ॐ पितृदेवताभ्यो नमः

ॐ कल्पवृक्षाय नमः

108 बार मंत्र जाप करें, और फिर रुद्राक्ष को धारण करें

पहनने का तरीका:

चाँदी, पीतल या रुद्राक्ष धागे में गले या दाएँ हाथ में पहनें

इसे श्रद्धा के साथ पूर्वजों के नाम से धारण करना अधिक फलदायी होता है

15 मुखी रुद्राक्ष पहनते समय सावधानियाँ

केवल पवित्र और संयमी व्यक्ति ही धारण करें

मांस-मदिरा, क्रोध, अहंकार, और असत्य से दूर रहें

नियमित ध्यान और जाप करें

रुद्राक्ष को अन्य किसी को स्पर्श न करने दें

श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के लिए तर्पण करना विशेष लाभकारी होता है

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या यह पितृ दोष को शुद्ध करता है?

हाँ, यह रुद्राक्ष विशेष रूप से पितृ दोष की शांति और पूर्वजों के आशीर्वाद के लिए उपयुक्त है।

क्या इसे रोज पहना जा सकता है?

जी हाँ, यदि आप संयमित और श्रद्धालु जीवन जी रहे हैं तो यह रुद्राक्ष आपको निरंतर आशीर्वाद देता है।

क्या महिलाएँ भी इसे पहन सकती हैं?

हाँ, लेकिन उन्हें नियम और शुद्धता का विशेष पालन करना चाहिए।

क्या यह विवाह, प्रेम या जीवनसाथी से जुड़े कष्ट दूर करता है?

यह हृदय को संतुलन देता है – प्रेम संबंधों में शांति, समझ और गहराई लाता है।

निष्कर्ष:

15 मुखी रुद्राक्ष एक अत्यंत दुर्लभ और गूढ़ साधना का रत्न है। यह जीवन में कर्म, पूर्वज, भावनाएँ और आत्मा – इन सभी को एकसाथ संतुलित करता है।

यदि आप अपने जीवन में स्थायी शांति, पूर्वजों की कृपा और आत्मिक जागरण की तलाश में हैं, तो यह रुद्राक्ष आपके लिए वरदान साबित हो सकता है।

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