Chanchal Sharma

4 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, पहनने की विधि, मंत्र और सावधानियाँ।

4 मुखी रुद्राक्ष

4 मुखी रुद्राक्ष का विस्तृत परिचय: 4 मुखी रुद्राक्ष को भगवान ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है, जो सृष्टि के रचयिता और ज्ञान, बुद्धि तथा विचारों के देवता हैं। यह रुद्राक्ष न केवल मानसिक शक्ति को जागृत करता है, बल्कि व्यक्ति के भीतर छिपी रचनात्मकता, तार्किक सोच और वाणी की स्पष्टता को भी सशक्त करता […]

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3 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, पहनने की विधि, मंत्र और सावधानियाँ

3 मुखी रुद्राक्ष

3 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी 3 मुखी रुद्राक्ष को “अग्निदेव” का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष शरीर, मन और आत्मा — तीनों का शुद्धिकरण करता है और जीवन में साहस, आत्मबल और ऊर्जा का संचार करता है। यह पापों से मुक्ति देने वाला, आत्मग्लानि को समाप्त करने वाला और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला रुद्राक्ष

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2 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, पहनने की विधि, मंत्र और सावधानियाँ।

2 मुखी रुद्राक्ष

2 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी 2 मुखी रुद्राक्ष को “अर्धनारीश्वर रुद्राक्ष” कहा जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के संयुक्त स्वरूप का प्रतीक है। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से रिश्तों में प्रेम, सामंजस्य और संतुलन लाने वाला माना जाता है। यह व्यक्ति के भीतर की द्वैतता को समाप्त कर आध्यात्मिक संतुलन और

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1 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, विधि, मंत्र, और सावधानियाँ |

रुद्राक्ष 1

रुद्राक्ष – शिव की आँखों से जन्मा दिव्य बीज रुद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ है – ‘रुद्र’ अर्थात भगवान शिव और ‘अक्ष’ अर्थात आँसू। पुराणों के अनुसार, शिवजी के तप और करुणा से गिरे आँसुओं से रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ, जिसे उनके आशीर्वाद का जीवंत प्रतीक माना जाता है। यह पवित्र बीज मुख्यतः नेपाल, भारत और इंडोनेशिया

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रुद्राक्ष क्या होता है? जानिए इसकी उत्पत्ति, महत्व, दिव्यता और चमत्कारी लाभ|

_रुद्राक्ष

Rudraksha: क्या होता है रुद्राक्ष? कैसे हुआ उत्पन्न? जानें इसका महत्व और धारण करने का नियम रुद्राक्ष क्या है? ‘रुद्राक्ष’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है—‘रुद्र’ और ‘अक्ष’।‘रुद्र’ का अर्थ है भगवान शिव और ‘अक्ष’ का अर्थ है आंखें (अश्रु)।इसका अर्थ हुआ—भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ बीज या फल। रुद्राक्ष एक प्रकार

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अन्नपूर्णा स्तोत्रम् – Annapoorna Stotram

माता अन्नपूर्णा

माता अन्नपूर्णा का परिचय और उनकी उत्पत्ति की कथा | Mata Annapurna Story in Hindi माता अन्नपूर्णा कौन हैं? माता अन्नपूर्णा हिंदू धर्म में अन्न और पोषण की देवी मानी जाती हैं। ‘अन्न’ का अर्थ है भोजन और ‘पूर्णा’ का अर्थ है संपूर्ण या परिपूर्ण। इस प्रकार माता अन्नपूर्णा का नाम ही यह दर्शाता है

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माता भिमेश्वरी देवी Mata Bhimeshwari Devi बेरी वाली माता Maa Beri wali – एक प्राचीन शक्तिपीठ

mata beri wali ki photo

माता बेरी वाली भीमेश्वरी देवी का मंदिर बेरी झज्जर, हरियाणा में स्थित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। भारत की संस्कृति में शक्ति की उपासना का विशेष स्थान रहा है। देश के कोने-कोने में देवी के विविध रूपों की पूजा होती है, जो आस्था, शक्ति और चमत्कार की प्रतीक होती हैं। हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी

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नवरात्रि में माता रानी की पूजा कैसे करें? नियम, विधि, मंत्र, लाभ और आधुनिक उपाय – सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

नवरात्रि में माता रानी की पूजा

नवरात्रि का महत्व और पृष्ठभूमि नवरात्रि क्या है? “नवरात्रि” संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है नौ रातें। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना के लिए समर्पित होता है। यह समय शक्ति, भक्ति और साधना का होता है, जिसमें भक्तगण नौ दिनों तक देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि

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 घर की किस दिशा में शीशा (आईना) लगाना चाहिए? जानें वास्तु नियम  के अनुसार।

शीशा(आईना) और वास्तु नियम

घर की इस दिशा में लगाएं शीशा(आईना) दिन-दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की और धनवर्षा, बनने लगेंगे बिगड़े काम भारतीय वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है जो जीवन के हर पहलू को सकारात्मक ऊर्जा के साथ जोड़ता है। घर की बनावट से लेकर उसमें इस्तेमाल होने वाले प्रत्येक वस्तु की दिशा, स्थिति और स्थान का गहरा

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घर के विभिन्न कमरों के लिए वास्तु शास्त्र के प्रभावी उपाय कौन-कौन से हैं?

घर के कमरों के लिए वास्तु उपाय

घर के कमरों के लिए वास्तु शास्त्र के प्रभावी उपाय वास्तु शास्त्र केवल एक प्राचीन विज्ञान नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मार्गदर्शन करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के हर कोने, हर दिशा और हर कमरे का अपना एक विशेष महत्व

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