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Toggleछोटी छोटी गैया , छोटे छोटे ग्वाल भजन लिरिक्स – Choti Choti Gaiya Chote Chote Gwal Lyrics In Hindi
भजन: छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल भजन श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का वर्णन करता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को अत्यंत सरल, सहज और प्रेममयी दृष्टि से चित्रित किया गया है। यह भजन विशेष रूप से उनके ग्वाल-बाल स्वरूप और गोकुल की रमणीयता को दर्शाता है।
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
आगे चले गैया, पीछे चले ग्वाल
आगे चले गैया, पीछे चले ग्वाल
बीच में मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो, छोटो सो…
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
घास खाए गैया, दूध पिए ग्वाल
घास खाए गैया, दूध पिए ग्वाल
माखन खाए मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो, छोटो सो…
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी लकुटी, छोटे-छोटे हाथ
छोटी-छोटी लकुटी, छोटे-छोटे हाथ
बंसी बजाए मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो, छोटो सो…
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी सखियाँ, यमुना के घाट
छोटी-छोटी सखियाँ, यमुना के घाट
रास रचाए मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो, छोटो सो…
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
काली-काली गैया, गोरे-गोरे ग्वाल
काली-काली गैया, गोरे-गोरे ग्वाल
साँवरो सलोनो मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल
छोटो सो, छोटो सो…
छोटो सो मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल भजन में गैया और ग्वालों के बारे में जो कहा गया है:
1.गायों का महत्व: गायें भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की प्रमुख साथी थीं। भजन में “छोटी-छोटी गैया” का उल्लेख उनकी उस लीलाओं की ओर संकेत करता है जब वे वृंदावन में गाएं चराने जाया करते थे। यह दर्शाता है कि श्रीकृष्ण को गायों से विशेष प्रेम था, और वे गायों को परिवार का हिस्सा मानते थे।
2.ग्वालों का स्नेह: “छोटे-छोटे ग्वाल” कहकर उनके बाल सखाओं की सरलता और प्रेम को दर्शाया गया है। ग्वाल बालक, जो श्रीकृष्ण के मित्र थे, उनके साथ खेलते, गायें चराते और माखन चोरी की लीलाओं में शामिल होते थे।
3.माधुर्य और सरलता: भजन भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की उन लीलाओं को भी याद दिलाता है जो मासूमियत और आनंद से भरी हुई थीं। गायों के पीछे दौड़ना, ग्वालों के साथ बांसुरी बजाना, और सभी को अपने दिव्य प्रेम से मोहित करना, इनका भजन में वर्णन किया गया है।
भजन “छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल” भगवान श्रीकृष्ण के ग्वालों और गाँव वालों के प्रति प्रेम और उनका आपसी स्नेहपूर्ण संबंध दर्शाता है।
1.श्रीकृष्ण का ग्वालों के प्रति प्रेम: श्रीकृष्ण का अपने ग्वाल मित्रों के प्रति प्रेम निश्छल और स्नेहपूर्ण था। वे उनके साथ खेलते, गायें चराते और हर पल आनंद में बिताते थे।कृष्ण अपने ग्वाल सखाओं को बराबरी का दर्जा देते थे। उनके बीच कोई भेदभाव नहीं था।ग्वाल बालकों के साथ उनकी बाल लीलाएँ, जैसे माखन चुराना, नदी किनारे खेलना, और बांसुरी बजाकर सबको मोहित करना, इस बात को दर्शाती हैं कि श्रीकृष्ण ने अपने सखाओं के साथ हर क्षण को प्रेमपूर्वक जिया।कृष्ण के प्रेम में सादगी और अपनापन झलकता था। वे अपने मित्रों के दुःख-सुख में उनके साथ खड़े रहते थे।
2.गाँववालों का कृष्ण के प्रति प्रेम: गाँववाले कृष्ण को अपने घर के सदस्य की तरह मानते थे। वे उन्हें सिर्फ एक बालक नहीं, बल्कि अपने रक्षक और पालनहार के रूप में देखते थे।उनके बाल लीलाओं और अद्भुत चमत्कारों ने गाँववालों को उनके प्रति और अधिक श्रद्धालु बना दिया। जब भी कोई संकट आता, जैसे पूतना का आना या कालिया नाग का प्रकोप, कृष्ण ने गाँववालों की रक्षा की।गोकुल और वृंदावन के लोग कृष्ण की बांसुरी की धुन से मोहित रहते थे। उनकी बाल-लीलाएँ सभी को आनंदित करती थीं।माता यशोदा और नंद बाबा के अलावा अन्य गोप-गोपियाँ भी कृष्ण को अत्यधिक स्नेह और भक्ति से देखती थीं।
3.आपसी स्नेह का प्रतीक: भजन “छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल” श्रीकृष्ण और ग्वालों के प्रेम का प्रतीक है।यह दिखाता है कि कैसे श्रीकृष्ण ने अपने मित्रों और गायों के साथ सहजता से संबंध बनाया और उनकी रक्षा की।उनके खेल, उनकी बांसुरी और उनकी सरलता से ग्वाल और गाँव वाले उनके प्रेम में डूब जाते थे।
भजन का महत्व
1.बाल-कृष्ण की सरलता और मासूमियत: भजन श्रीकृष्ण के बचपन की उन लीलाओं का स्मरण कराता है जो उनकी सरलता, मासूमियत और अलौकिकता का प्रतीक हैं।यह दिखाता है कि भगवान स्वयं कितने सहज और सरल होकर अपने भक्तों के बीच रहते हैं।
2.प्रकृति और पशु-पक्षियों से प्रेम का संदेश: गाएँ, जो भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखती हैं, श्रीकृष्ण की लीलाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा थीं। भजन में गायों और उनके चरवाहों के साथ श्रीकृष्ण के स्नेह को दर्शाया गया है।यह हमें पशुओं और प्रकृति के प्रति प्रेम और दायित्व निभाने की प्रेरणा देता है।
3.सामाजिक समरसता और समानता का भाव: “छोटे-छोटे ग्वाल” यह दिखाता है कि श्रीकृष्ण का प्रेम जाति, वर्ग, या स्थिति का भेदभाव नहीं करता था।ग्वाल बालक चाहे साधारण परिवारों से हों, श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने सखा के रूप में अपनाया और उनके साथ समान रूप से आनंद मनाया।
4.भक्ति और आनंद का प्रतीक: यह भजन भक्ति के मार्ग पर चलने वालों को यह संदेश देता है कि भगवान के साथ सच्चे प्रेम और भक्ति का अनुभव कैसे किया जा सकता है।कृष्ण और ग्वाल-बालों की लीलाएँ भक्त के हृदय में आनंद और आस्था का संचार करती हैं।
5.लोकजीवन का सजीव चित्रण: भजन में गोकुल और वृंदावन के सहज, सरल, और प्रकृति-प्रधान जीवन का वर्णन है। यह ग्रामीण संस्कृति और वहां की सरलता को सुंदर रूप में प्रस्तुत करता है।यह दर्शाता है कि कैसे साधारण जीवन में भी दिव्यता और संतोष पाया जा सकता है।
6.भक्त और भगवान का रिश्ता: ग्वाल-बालों और गोकुलवासियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम भगवान और भक्त के रिश्ते का प्रतीक है।यह भजन हमें बताता है कि भगवान अपने भक्तों के साथ किस प्रकार प्रेमपूर्ण और आत्मीय संबंध बनाते हैं।
निष्कर्ष:
“छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल” भजन केवल भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन नहीं है, बल्कि यह हमें उनके जीवन से सीखने की प्रेरणा भी देता है। यह भजन हमें प्रेम, भक्ति, सादगी, और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने का संदेश देता है।
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