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Toggleनगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो भजन लिरिक्स – Nagri Ho Ayodhya Si, Raghukul Sa Gharana Ho Lyrics in Hindi
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो भजन भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनमें ईश्वर की स्तुति, उनकी महिमा, और आध्यात्मिक विचारों का वर्णन किया जाता है। “नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो” ऐसा ही एक भजन लिरिक्स है, जो रामभक्ति और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्श जीवन को समर्पित है। यह भजन न केवल भक्ति भाव जागृत करता है, बल्कि हमें रामायण की शिक्षाओं और मूल्यों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।इस भजन का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे जीवन और घर का वातावरण वैसा ही पवित्र और आदर्श बन जाए जैसा कि अयोध्या नगरी और रघुकुल का घराना था। इसमें भगवान राम के गुणों और उनके आदर्श चरित्र को केंद्र में रखा गया है। भजन यह संदेश देता है कि यदि हमारे घर में राम जैसा आदर्श, सीता जैसी पवित्रता, और लक्ष्मण जैसी निष्ठा हो, तो हमारा जीवन भी दिव्य हो सकता है।
भजन
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो।।
लक्ष्मण सा भाई हो,
कौशल्या माई हो,
स्वामी तुम जैसा,
मेरा रघुराई हो,
स्वामी तुम जैसा,
मेरा रघुराई हो।।
हो त्याग भरत जैसा,
सीता सी नारी हो,
लव कुश के जैसी,
संतान हमारी हो,
लव कुश के जैसी,
संतान हमारी हो।।
श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो,
हनुमत के जैसी,
निष्ठा और शक्ति हो,
हनुमत के जैसी,
निष्ठा और शक्ति हो।।
मेरी जीवन नैया हो,
प्रभु राम खिवैया हो,
राम कृपा की सदा,
मेरे सिर पर छैया हो,
राम कृपा की सदा,
मेरे सिर पर छैया हो।।
सरयू का किनारा हो,
निर्मल जलधारा हो,
दर्श मुझे भगवन,
जिस घड़ी तुम्हारा हो,
दर्श मुझे भगवन,
जिस घड़ी तुम्हारा हो।।
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो।।
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो भजन का आध्यात्मिक महत्व
भजन गाने और सुनने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह भजन हमें भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसका नियमित गायन हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति की भावना लाता है।
पारिवारिक आदर्शों की शिक्षा
भजन में परिवार के हर सदस्य की भूमिका को आदर्श बनाने की प्रेरणा है। यह केवल धार्मिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करता है। यदि हर परिवार इस भजन के संदेश को आत्मसात कर ले, तो समाज में आपसी प्रेम, सहयोग, और सम्मान बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो केवल एक भजन नहीं है, बल्कि यह एक आदर्श जीवन का संदेश है। यह हमें रामायण की शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करने और अपने परिवार को एक आदर्श परिवार बनाने के लिए प्रेरित करता है। भजन का नियमित गायन न केवल आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि हमारे जीवन को भी उच्च आदर्शों की ओर ले जाता है।
भजन: “नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो” से सम्बंधित कुछ प्रश्न और उत्तर
1.प्रश्न: इस भजन का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: इस भजन का मुख्य संदेश यह है कि हमारा जीवन और परिवार भगवान राम की अयोध्या नगरी और रघुकुल वंश के समान आदर्श, पवित्र और मर्यादित बनना चाहिए। यह भजन हमें सत्य, धर्म, और मर्यादा का पालन करने की प्रेरणा देता है।
2.प्रश्न: “अयोध्या सी नगरी” से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: “अयोध्या सी नगरी” का तात्पर्य एक ऐसे स्थान से है जो पवित्र, शांतिपूर्ण, और आध्यात्मिकता से भरा हो। यह रामराज्य का प्रतीक है, जहां सत्य, न्याय, और धर्म का पालन किया जाता है।
3.प्रश्न: “रघुकुल सा घराना” का क्या महत्व है?
उत्तर: “रघुकुल सा घराना” मर्यादा, सत्य, और वचनबद्धता का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि हमारे घर में भी रघुकुल जैसे आदर्श और संस्कार होने चाहिए, जहां सभी सदस्य अपने कर्तव्यों और मूल्यों का पालन करें।
4.प्रश्न: यह भजन हमें कौन-कौन से जीवन मूल्य सिखाता है?
उत्तर: यह भजन हमें कई जीवन मूल्य सिखाता है, जैसे:
सत्य और धर्म का पालन करना
वचनों की मर्यादा रखना
परिवार में प्रेम और सहयोग बनाए रखना
एक आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा लेना
5.प्रश्न: इस भजन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: इस भजन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व यह है कि यह भगवान राम के आदर्श जीवन और अयोध्या नगरी की पवित्रता का स्मरण कराता है। इसे गाने और सुनने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति को ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति की भावना विकसित होती है।
6.प्रश्न: इस भजन का सामाजिक दृष्टिकोण से क्या प्रभाव है?
उत्तर: सामाजिक दृष्टिकोण से, यह भजन परिवार और समाज को आदर्श मूल्यों पर आधारित बनाने की प्रेरणा देता है। यदि हर परिवार इस भजन में दिए गए संदेशों का पालन करे, तो समाज में प्रेम, सहयोग, और नैतिकता का वातावरण बन सकता है।
7.प्रश्न: “प्राण जाए पर वचन न जाए” का इस भजन में क्या संदर्भ है?
उत्तर: “प्राण जाए पर वचन न जाए” रघुकुल की मर्यादा का प्रतीक है। इस भजन में यह संदेश दिया गया है कि हमें भी अपने जीवन में वचनों और मर्यादा का पालन करना चाहिए, चाहे इसके लिए हमें किसी भी प्रकार का त्याग क्यों न करना पड़े।
8.प्रश्न: इस भजन को कब और कैसे गाया जाना चाहिए?
उत्तर: यह भजन सुबह की पूजा, धार्मिक कार्यक्रमों, या पारिवारिक भजन सत्रों में गाया जा सकता है। इसे गाते समय भक्ति और श्रद्धा का भाव होना चाहिए।
9.प्रश्न: यह भजन किस प्रकार व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है?
उत्तर: यह भजन व्यक्ति को रामायण के आदर्शों को अपने जीवन में लागू करने के लिए प्रेरित करता है। यह भजन मन में भक्ति और शांति का संचार करता है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और आदर्श वातावरण बनाता है।
10.प्रश्न: इस भजन से बच्चों को क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: बच्चों को इस भजन से सत्य, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, और परिवार के प्रति सम्मान का महत्व समझ में आता है। यह उन्हें भारतीय संस्कृति और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श जीवन से जुड़ने की प्रेरणा देता है।
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