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Toggleगरभ गौरी रुद्राक्ष का परिचय:
गरभ गौरी रुद्राक्ष को माँ पार्वती और उनके गर्भस्थ पुत्र गणेश जी का दिव्य स्वरूप माना जाता है। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से संतान सुख, मातृत्व की प्राप्ति, गर्भधारण में सहायता, और माँ-बच्चे के रिश्ते में मजबूती के लिए अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना गया है।
यह रुद्राक्ष स्त्रियों के लिए अत्यंत फलदायक है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो गर्भधारण में कठिनाई, गर्भ रक्षा, या संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं।
गरभ गौरी रुद्राक्ष क्या है?
गरभ गौरी रुद्राक्ष दो रुद्राक्ष बीजों से मिलकर बना होता है — एक बड़ा (माँ पार्वती) और एक छोटा (गर्भस्थ गणेश)। दोनों बीज प्राकृतिक रूप से जुड़े होते हैं, यह इस बात का प्रतीक है कि माँ और पुत्र की आत्मा एक होती है।
विशेषताएँ:
आकृति: अंडाकार और असमान आकार
रंग: गहरा भूरा
ऊर्जा: शांत, मातृत्व पूर्ण, प्रेम और रक्षा देने वाली
गरभ गौरी रुद्राक्ष के देवता
मुख्य देवता:
माँ पार्वती (गौरी) – मातृत्व, प्रेम और सुरक्षा की देवी
भगवान गणेश (गर्भस्थ रूप) – शुभता, विघ्नहर्ता और संतान रूप में
गुप्त शक्ति:
गर्भधारण में सहायता, संतान सुख, शिशु की रक्षा, स्त्री ऊर्जा का जागरण
गरभ गौरी रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ
गर्भधारण और संतान सुख में सहायता:
गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है
संतान प्राप्ति में बाधाओं को दूर करता है
बाँझपन, बार-बार गर्भपात या स्त्री रोगों में विशेष प्रभावी
माँ-बच्चे के बीच गहरा संबंध:
गर्भस्थ शिशु और माँ के बीच आत्मिक जुड़ाव को मजबूत करता है
शिशु की रक्षा, बुद्धि और सौभाग्य में वृद्धि
मातृत्व के भाव को जागृत करता है
स्त्रियों में मानसिक शांति और संतुलन:
स्त्रीत्व, प्रेम, वात्सल्य और करुणा को जाग्रत करता है
अवसाद, तनाव और भावनात्मक असंतुलन को शांत करता है
पारिवारिक सौहार्द को बढ़ाता है
आध्यात्मिक लाभ:
देवी साधना में सहायता
शिव-पार्वती भक्ति में समर्पण की अनुभूति
संतानों के लिए की गई साधना को सफल बनाता है
किन लोगों को गरभ गौरी रुद्राक्ष पहनना चाहिए?
जिन महिलाओं को गर्भधारण में समस्या आ रही हो
जिनका गर्भ बार-बार गिर जाता है
जो संतान सुख की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हों
जिनकी कुंडली में शुक्र, चंद्र या स्त्री रोग दोष हो
जो शिशु की रक्षा और सुखमय प्रसव की इच्छा रखती हों
गरभ गौरी रुद्राक्ष पहनने की विधि
शुभ दिन:
शुक्रवार, नवरात्रि, गणेश चतुर्थी, या पूर्णिमा
शुद्धिकरण विधि:
गंगाजल, दूध और शहद से रुद्राक्ष को स्नान कराएँ
गुलाब जल और हल्दी से तिलक करें
माँ पार्वती और गणेश जी के समक्ष दीप और पुष्प अर्पित करें
मंत्र जाप:
ॐ गौर्यै नमः
ॐ गणपतये नमः
ॐ नमः शिवाय
108 बार जाप करें और रुद्राक्ष को धारण करें
पहनने का तरीका:
सफेद रेशमी धागे या चाँदी की चेन में
गले में या स्त्रियाँ कमर में भी धारण कर सकती हैं
पूजा के बाद शांत चित्त से प्रार्थना कर पहनें
गरभ गौरी रुद्राक्ष पहनते समय सावधानियाँ
मांस, मदिरा, वर्जित आचरण से दूर रहें
इसे अत्यंत श्रद्धा, नम्रता और प्रेम से धारण करें
स्नान, शौच, सहवास आदि के समय उतारें
रुद्राक्ष को किसी अन्य को छूने न दें
प्रतिदिन देवी स्तुति, दुर्गा चालीसा या ॐ गौर्यै नमः का जाप करें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या गरभ गौरी रुद्राक्ष केवल स्त्रियाँ पहन सकती हैं?
मुख्य रूप से यह महिलाओं के लिए है, परंतु दंपत्ति मिलकर इसे देवी के पूजन हेतु स्थापित कर सकते हैं।
क्या यह संतान सुख की गारंटी देता है?
यह कोई चमत्कारी वस्तु नहीं, परंतु यह श्रद्धा और नियमित साधना से गर्भ संबंधित समस्याओं में अत्यधिक सहायक होता है।
क्या गर्भावस्था के दौरान इसे पहनना सुरक्षित है?
हाँ, विशेषतया गर्भ रक्षा, शिशु बुद्धि विकास, और माँ-बच्चे की ऊर्जा संतुलन के लिए इसे धारण किया जाता है।
निष्कर्ष:
गरभ गौरी रुद्राक्ष माँ पार्वती और गणेश जी की अद्वितीय कृपा का जीवंत रूप है।यह रुद्राक्ष मातृत्व, प्रेम, करुणा और संतान प्राप्ति की दिव्य शक्ति प्रदान करता है।
जो इसे श्रद्धा और नियम से धारण करता है, उसके जीवन में सुखद मातृत्व और दैवी कृपा सहज रूप से प्रवाहित होती है।
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