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Toggleगौरी शंकर रुद्राक्ष का परिचय:
गौरी शंकर रुद्राक्ष दो प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए रुद्राक्ष दानों से बना होता है, जिन्हें माँ पार्वती (गौरी) और भगवान शिव (शंकर) का स्वरूप माना जाता है। यह रुद्राक्ष प्रेम, एकता, वैवाहिक सुख, आध्यात्मिक संतुलन और शिव-शक्ति की कृपा का प्रतीक है।
यह उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है जो वैवाहिक जीवन में सुख, संतुलन, या मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति चाहते हैं, साथ ही साधना में स्थिरता और भक्ति की गहराई चाहते हैं।
गौरी शंकर रुद्राक्ष क्या है?
गौरी शंकर रुद्राक्ष दो रुद्राक्ष बीज होते हैं जो प्राकृतिक रूप से आपस में जुड़े होते हैं — जैसे गौरी और शंकर का अभिन्न मिलन। इसका संबंध हृदय चक्र (अनाहत) और आध्यात्मिक प्रेम से होता है।
विशेषताएँ:
आकार: अंडाकार या थोड़े फैलाव वाले
रंग: गहरा भूरा
ऊर्जा: प्रेम, समर्पण, संतुलन और दैवी शक्तियों से जुड़ी हुई
गौरी शंकर रुद्राक्ष के देवता
मुख्य देवता:
भगवान शिव (शंकर) – स्थायित्व, ध्यान और शक्ति
माँ पार्वती (गौरी) – करुणा, प्रेम और सौम्यता
गुप्त शक्ति:
विवाह में सफलता, दांपत्य सुख, प्रेम संबंधों में संतुलन, साधना में गहराई
गौरी शंकर रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ
विवाह और प्रेम संबंधों में:
विवाह में विलंब हो रहा हो तो शीघ्र योग बनता है
वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और विश्वास आता है
पति-पत्नी में गहरा भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव होता है
ध्यान और साधना में लाभ:
शिव-शक्ति की संयुक्त ऊर्जा के कारण ध्यान में स्थिरता
अनाहत चक्र (हृदय चक्र) जागृत करता है
भक्त को भक्ति और ज्ञान दोनों का मार्ग दिखाता है
भावनात्मक और पारिवारिक संतुलन:
माता-पिता, संतान और जीवनसाथी के बीच रिश्तों में मधुरता
भावनात्मक अस्थिरता, अकेलापन और असुरक्षा दूर होती है
मानसिक शांति और निर्णय क्षमता:
मन को शुद्ध और शांत बनाता है
सही निर्णय लेने में सहायता करता है
संकल्पशक्ति और स्थायित्व को बढ़ाता है
किन लोगों को गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनना चाहिए?
जो विवाह में देरी या बाधा झेल रहे हैं
जिनका वैवाहिक जीवन अशांत है या दूरी आ रही हो
जो प्रेम संबंध में स्थायित्व और समझ चाहते हैं
साधक, तांत्रिक, शिव-शक्ति साधना करने वाले
जिनकी कुंडली में शुक्र या चंद्र दोष हो
गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनने की विधि
शुभ दिन:
सोमवार, शिवरात्रि, या नवरात्रि के दिन
शुद्धिकरण विधि:
गंगाजल, दूध और शहद से रुद्राक्ष को स्नान कराएँ
सफेद चंदन और केसर का तिलक करें
शिव-पार्वती के समक्ष दीपक, पुष्प, और धूप अर्पित करें
मंत्र जाप:
ॐ गौरीशंकराय नमः
(या)
ॐ नमः शिवाय + ॐ ह्रीं पार्वत्यै नमः
108 बार मंत्र जाप करें, फिर रुद्राक्ष को धारण करें
पहनने का तरीका:
चाँदी, सोने या सफेद रेशमी धागे में
गले या दाएँ हाथ में धारण करें
पूजा के बाद शिव-पार्वती का ध्यान करके पहनें
गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनते समय सावधानियाँ
इसे प्रेम और श्रद्धा से धारण करें, इसे दिखावे का साधन न बनाएं
मांस, मदिरा और अपवित्र आचरण से बचें
स्नान, शौच और सहवास के समय इसे उतारें
किसी को यह रुद्राक्ष छूने न दें
हर सोमवार इसे गंगाजल से धोकर शिव-पार्वती को अर्पित करें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या यह रुद्राक्ष विवाह योग्य युवाओं के लिए उपयुक्त है?
हाँ, यह शीघ्र विवाह योग बनाने और योग्य जीवनसाथी मिलने में अत्यंत सहायक है।
क्या विवाहित स्त्री-पुरुष इसे साथ में पहन सकते हैं?
हाँ, यदि पति-पत्नी दोनों इसे धारण करें तो उनके बीच भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव गहरा होता है।
क्या साधना में भी इसका प्रयोग किया जाता है?
बिलकुल! यह शिव-शक्ति साधना, तंत्र-साधना, और अनाहत चक्र जागरण के लिए उपयोगी है।
क्या महिलाएँ इसे पहन सकती हैं?
हाँ, यह स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से प्रभावशाली और शुभ है।
निष्कर्ष:
गौरी शंकर रुद्राक्ष न केवल प्रेम और विवाह का रक्षक है, बल्कि यह आध्यात्मिक मिलन, मन की शांति, और भक्ति में समर्पण का प्रतीक भी है।
यह रुद्राक्ष जीवन में शिव-पार्वती जैसा स्थायी और दिव्य संबंध लाने का सामर्थ्य रखता है।
जो भी इसे श्रद्धा और नियम से धारण करता है, उसके जीवन में प्रेम, सुख और भक्ति की धारा प्रवाहित होती है।
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