नाम है तेरा तारण हारा भजन लिरिक्स -(Naam Hai Tera Taran Hara Lyrics in Hindi)

नाम है तेरा तारण हारा भजन

नाम है तेरा तारण हारा कृष्ण भजन

नाम है तेरा तारण हारा,

कब तेरा दर्शन होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा ।

 

तुमने तारे लाखों प्राणी,

ये संतो की वाणी है,

तेरी छवि पर वो मेरे भगवन,

ये दुनिया दीवानी है,

भाव से तेरी पूजा रचाऊं,

जीवन में मंगल होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

वो कितना सुंदर होगा ।

 

सुरवर मुनिवर जिनके चरण में 

निशदिन शीश झुकाते है,

जो गाते है प्रभु की महिमा,

वो सब कुछ पा जाते है,

अपने कष्ट मिटाने को तेरे,

चरणों का वंदन होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

वो कितना सुंदर होगा ।

 

मन की मुरादें लेकर स्वामी,

तेरे चरण में आए है,

हम है बालक तेरे चरण में,

तेरे ही गुण गाते है,

भव से पार उतरने को तेरे,

गीतो का संगम होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

वो कितना सुंदर होगा ।

 

ऐसी दया कर देना दाता,

निश्छल गुजरे ये जीवन,

रंग लगे नहीं कपट झूठ का,

हो पावन मेरा तन मन,

सेवा में तेरी ओ मेरे स्वामी,

भक्तिभाव अर्पण होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

वो कितना सुंदर होगा ।



सद्कर्मो को करते रहे हम 

सच की राह दिखा देना 

विचलित यदि मन हो जाये तो 

पाप से हमें बचा लेना 

अंत समय जब आये तो प्रभु 

दाग मुक्त दर्पण होगा

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

वो कितना सुंदर होगा ।

 

नाम है तेरा तारण हारा,

कब तेरा दर्शन होगा,

जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर,

वो कितना सुंदर होगा,

वो कितना सुंदर होगा ।

“नाम है तेरा तारण हारा” एक अत्यंत मधुर और भावपूर्ण श्रीकृष्ण भजन लिरिक्स है जो भक्त के मन में प्रभु के प्रति अटूट प्रेम, भक्ति और समर्पण की भावना को जागृत करता है। इस भजन के बोल भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय सुंदरता और उनकी दिव्य छवि का वर्णन करते हैं। गायक भावविभोर होकर कहता है कि जब प्रतिमा ही इतनी मनमोहक है, तो स्वयं भगवान कितने अनुपम और अद्भुत होंगे। यह भाव ही भक्त को प्रभु के दर्शन की तीव्र लालसा से भर देता है।

भजन में संतों की वाणी का भी उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि असंख्य प्राणी भगवान की रचना हैं और उनकी छवि पर पूरी दुनिया मोहित है। इसमें यह भाव है कि प्रभु की भक्ति से जीवन में मंगल होता है, सभी कष्ट दूर होते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। जो साधक और संत प्रभु के चरणों में शीश झुकाते हैं और उनकी महिमा गाते हैं, वे जीवन में सब कुछ पा लेते हैं।

गीत में यह भी भाव है कि भक्त अपने मन की मुरादें लेकर प्रभु के चरणों में आता है और गीत-संगीत के माध्यम से उन्हें अर्पण करता है। वह प्रभु से यह प्रार्थना करता है कि उसका जीवन निश्छल, पवित्र और कपट-रहित बने, और अंत समय में उसकी आत्मा निष्कलंक हो।

“नाम है तेरा तारण हारा” केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक साधक की आत्मिक यात्रा का वर्णन है—जहां वह प्रभु के चरणों में प्रेम, सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लेता है। यह भजन सुनने और गाने वाले को भक्ति-रस में डुबो देता है और श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप का दर्शन कराने का माध्यम बनता है।

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