संतान गोपाल स्तोत्रम् भजन लिरिक्स – Santan Gopal Stotra Lyrics in Hindi

संतान गोपाल स्तोत्रम्

संतान गोपाल स्तोत्रम् भजन लिरिक्स – Santan Gopal Stotra Lyrics in Hindi

संतान गोपाल स्तोत्रम् एक पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप की स्तुति करता है। Santan Gopal Stotra विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है, जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस संतान गोपाल स्तोत्र का नियमित पाठ और सच्चे हृदय से भगवान गोपाल की उपासना करने से भक्तों की संतान-संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और उनके घर में सुख-शांति का वास होता है।

संतान गोपाल स्तोत्रम् भजन लिरिक्स – Santan Gopal Stotra Lyrics in Hindi

 

श्रीशं कमलपत्राक्षं देवकीनन्दनं हरिम् ।

सुतसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि मधुसूदनम् ॥1॥

मैं कमल के समान नेत्रों वाले, देवकी के पुत्र, और मधुसूदन भगवान श्रीकृष्ण को संतान प्राप्ति की कामना से नमन करता हूँ।

 

नमाम्यहं वासुदेवं सुतसम्प्राप्तये हरिम् ।

यशोदांकगतं बालं गोपालं नन्दनन्दनम् ॥2॥

मैं संतान प्राप्ति की कामना से वासुदेव, हरि, यशोदा की गोद में खेलने वाले बाल गोपाल और नंदनंदन श्रीकृष्ण को नमन करता हूँ।

 

अस्माकं पुत्रलाभाय गोविन्दं मुनिवन्दितम् ।

नमाम्यहं वासुदेवं देवकीनन्दनं सदा ॥3॥

हमारे पुत्र लाभ के लिए, मैं मुनियों द्वारा वंदित गोविंद, वासुदेव और देवकीनंदन श्रीकृष्ण को सदा नमन करता हूँ।

 

गोपालं डिम्भकं वन्दे कमलापतिमच्युतम् ।

पुत्रसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि यदुपुंगवम् ॥4॥

संतान प्राप्ति के लिए, मैं बाल गोपाल, कमला के पति, अच्युत और यदुवंश श्रेष्ठ श्रीकृष्ण को नमन करता हूँ।

 

पुत्रकामेष्टिफलदं कंजाक्षं कमलापतिम् ।

देवकीनन्दनं वन्दे सुतसम्प्राप्तये मम ॥5॥

मैं पुत्र प्राप्ति के फल देने वाले, कमलनयन, लक्ष्मीपति और देवकीनंदन श्रीकृष्ण को नमन करता हूँ।

 

पद्मापते पद्मनेत्र पद्मनाभ जनार्दन ।

देहि में तनयं श्रीश वासुदेव जगत्पते ॥6॥

हे लक्ष्मीपति, कमलनयन, पद्मनाभ, जनार्दन, वासुदेव और जगत्पति! मुझे संतान प्रदान करें।

 

यशोदांकगतं बालं गोविन्दं मुनिवन्दितम् ।

अस्माकं पुत्रलाभाय नमामि श्रीशमच्युतम् ॥7॥

मैं यशोदा की गोद में खेलने वाले, मुनियों द्वारा वंदित गोविंद और अच्युत श्रीकृष्ण को संतान प्राप्ति के लिए नमन करता हूँ।

 

श्रीपते देवदेवेश दीनार्तिहरणाच्युत ।

गोविन्द मे सुतं देहि नमामि त्वां जनार्दन ॥8॥

हे श्रीपति, देवों के ईश्वर, दीनों के कष्ट हरने वाले अच्युत! हे गोविंद, मुझे संतान प्रदान करें। हे जनार्दन मैं आपको नमन करता हूँ।

 

भक्तकामद गोविन्द भक्तं रक्ष शुभप्रद ।

देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥9॥

हे भक्तों की कामनाएं पूरी करने वाले, गोविंद! हे शुभ प्रदान करने वाले, रुक्मिणीवल्लभ प्रभु कृष्ण! मुझे संतान प्रदान करें।

 

रुक्मिणीनाथ सर्वेश देहि मे तनयं सदा ।

भक्तमन्दार पद्माक्ष त्वामहं शरणं गत: ॥10॥

हे रुक्मिणीनाथ, सर्वेश्वर, कमलनयन भगवान! मुझे सदा संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥11॥

हे देवकीसुत, गोविंद, वासुदेव, और जगत्पति कृष्ण! मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

वासुदेव जगद्वन्द्य श्रीपते पुरुषोत्तम ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥12॥

हे वासुदेव, जगत द्वारा वंदित, श्रीपति और पुरुषोत्तम कृष्ण! मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

कंजाक्ष कमलानाथ परकारुरुणिकोत्तम ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥13॥

हे कमलनयन, लक्ष्मीपति, परम करुणामय उत्तम कृष्ण! मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

लक्ष्मीपते पद्मनाभ मुकुन्द मुनिवन्दित ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥14॥

हे लक्ष्मीपति, पद्मनाभ, मुकुंद और मुनियों द्वारा वंदित कृष्ण! मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

कार्यकारणरूपाय वासुदेवाय ते सदा ।

नमामि पुत्रलाभार्थं सुखदाय बुधाय ते ॥15॥

हे कार्य और कारण के रूप वासुदेव! मैं आपको सदा नमन करता हूँ। संतान प्राप्ति, सुख और ज्ञान के लिए आपकी वंदना करता हूँ।

 

राजीवनेत्र श्रीराम रावणारे हरे कवे ।

तुभ्यं नमामि देवेश तनयं देहि मे हरे ॥16॥

हे राजीवनेत्र, श्रीराम, रावण के शत्रु, कवि और देवेश्वर हरि! मैं आपको नमन करता हूँ। कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

अस्माकं पुत्रलाभाय भजामि त्वां जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण वासुदेव रमापते ॥17॥

हे जगत्पति, वासुदेव, और रमापति कृष्ण! संतान प्राप्ति के लिए मैं आपकी भक्ति करता हूँ। कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

श्रीमानिनीमानचोर गोपीवस्त्रापहारक ।

देहि मे तनयं कृष्ण वासुदेव जगत्पते ॥18॥

हे श्रीमान, मानचोर, गोपी के वस्त्र चुराने वाले, वासुदेव और जगत्पति कृष्ण! मुझे संतान प्रदान करें।

 

अस्माकं पुत्रसम्प्राप्तिं कुरुष्व यदुनन्दन ।

रमापते वासुदेव मुकुन्द मुनिवन्दित ॥19॥

हे यदुनंदन, रमापति, वासुदेव, मुकुंद और मुनियों द्वारा वंदित प्रभु! कृपया हमें संतान सुख प्रदान करें।

 

वासुदेव सुतं देहि तनयं देहि माधव ।

पुत्रं मे देहि श्रीकृष्ण वत्सं देहि महाप्रभो ॥20॥

हे वासुदेव, माधव, श्रीकृष्ण और महाप्रभु! कृपया मुझे संतान, पुत्र और वत्स प्रदान करें।

 

डिम्भकं देहि श्रीकृष्ण आत्मजं देहि राघव ।

भक्तमन्दार मे देहि तनयं नन्दनन्दन ॥21॥

हे श्रीकृष्ण, राघव और नंदनंदन! मुझे संतान, पुत्र, और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाला आशीर्वाद प्रदान करें।

 

नन्दनं देहि मे कृष्ण वासुदेव जगत्पते ।

कमलानाथ गोविन्द मुकुन्द मुनिवन्दित ॥22॥

हे नंदनंदन कृष्ण, वासुदेव, जगत्पति, कमलानाथ, गोविंद, और मुनियों द्वारा वंदित मुकुंद! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम ।

सुतं देहि श्रियं देहि श्रियं पुत्रं प्रदेहि मे ॥23॥

मेरे लिए आपके सिवा कोई शरण नहीं है। आप ही मेरी शरण हैं। कृपया मुझे संतान, संपत्ति, और गुणवान पुत्र प्रदान करें।

 

यशोदास्तन्यपानज्ञं पिबन्तं यदुनन्दनम् ।

वन्देsहं पुत्रलाभार्थं कपिलाक्षं हरिं सदा ॥24॥

हे यशोदा के स्तनपान करने वाले, यदुनंदन, कपिलाक्ष और भगवान हरि को संतान प्राप्ति की कामना से सदा वंदन करता हूँ।

 

नन्दनन्दन देवेश नन्दनं देहि मे प्रभो ।

रमापते वासुदेव श्रियं पुत्रं जगत्पते ॥25॥

हे नंदनंदन, देवों के ईश्वर, प्रभु!  हे रमापति, वासुदेव, और जगत्पति!

कृपया मुझे संतान, लक्ष्मीस्वरूप पुत्र, और संपत्ति प्रदान करें।

 

पुत्रं श्रियं श्रियं पुत्रं पुत्रं मे देहि माधव ।

अस्माकं दीनवाक्यस्य अवधारय श्रीपते ॥26॥

हे माधव, श्रीपति! कृपया मुझे पुत्र और संपत्ति प्रदान करें। हमारी दीन वाणी को सुनकर कृपा करें।

 

गोपालडिम्भ गोविन्द वासुदेव रमापते ।

अस्माकं डिम्भकं देहि श्रियं देहि जगत्पते ॥27॥

हे गोपाल, गोविंद, वासुदेव, रमापति, और जगत्पति! कृपया हमें संतान और समृद्धि प्रदान करें।

 

मद्वांछितफलं देहि देवकीनन्दनाच्युत ।

मम पुत्रार्थितं धन्यं कुरुष्व यदुनन्दन ॥28॥

हे देवकीनंदन अच्युत और यदुनंदन! मेरी इच्छा पूरी करें और मुझे धन्य करते हुए संतान प्रदान करें।

 

याचेsहं त्वां श्रियं पुत्रं देहि मे पुत्रसम्पदम् ।

भक्तचिन्तामणे राम कल्पवृक्ष महाप्रभो ॥29॥

हे भक्तों के चिंतामणि, राम, कल्पवृक्ष, और महाप्रभु! मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ, कृपया मुझे पुत्र और संतान सुख प्रदान करें।

 

आत्मजं नन्दनं पुत्रं कुमारं डिम्भकं सुतम् ।

अर्भकं तनयं देहि सदा मे रघुनन्दन ॥30॥

हे रघुनंदन! कृपया मुझे संतान, पुत्र, कुमार, बालक, और हमेशा के लिए सुखदायक आत्मज प्रदान करें।

 

वन्दे सन्तानगोपालं माधवं भक्तकामदम् ।

अस्माकं पुत्रसम्प्राप्त्यै सदा गोविन्दच्युतम् ॥31॥

हे संतानों के दाता गोपाल, भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करने वाले माधव और गोविंद अच्युत को सदा नमन करता हूँ, संतान प्राप्ति के लिए।

 

ऊँकारयुक्तं गोपालं श्रीयुक्तं यदुनन्दनम् ।

कलींयुक्तं देवकीपुत्रं नमामि यदुनायकम् ॥32॥

मैं ओंकार स्वरूप, लक्ष्मी से युक्त, यदुनंदन, देवकीपुत्र, और यदुवंश के नायक गोपाल को नमन करता हूँ।

 

वासुदेव मुकुन्देश गोविन्द माधवाच्युत ।

देहि मे तनयं कृष्ण रमानाथ महाप्रभो ॥33॥

हे वासुदेव, मुकुंद, गोविंद, माधव, अच्युत, रमापति और महाप्रभु कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

राजीवनेत्र गोविन्द कपिलाक्ष हरे प्रभो ।

समस्तकाम्यवरद देहि मे तनयं सदा ॥34॥

हे राजीवनेत्र, गोविंद, कपिलाक्ष, हरे और प्रभु! सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले, कृपया मुझे सदा के लिए संतान प्रदान करें।

 

अब्जपद्मनिभं पद्मवृन्दरूप जगत्पते ।

देहि मे वरसत्पुत्रं रमानायक माधव ॥35॥

हे कमल समान सुंदर, पद्मवृंद स्वरूप, जगत्पति, रमापति और माधव! कृपया मुझे एक उत्तम संतान प्रदान करें।

 

नन्दपाल धरापाल गोविन्द यदुनन्दन ।

देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥36॥

हे नंदपाल, धरापाल, गोविंद, यदुनंदन, रुक्मिणीवल्लभ प्रभु कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

दासमन्दार गोविन्द मुकुन्द माधवाच्युत ।

गोपाल पुण्डरीकाक्ष देहि मे तनयं श्रियम् ॥37॥

हे दासों के मनोकामना वृक्ष गोविंद, मुकुंद, माधव, अच्युत, गोपाल और पुण्डरीकाक्ष! कृपया मुझे संतान और संपत्ति प्रदान करें।



यदुनायक पद्मेश नन्दगोपवधूसुत ।

देहि मे तनयं कृष्ण श्रीधर प्राणनायक ॥38॥

हे यदुनायक, पद्मपति, नंदगोप की वधू के पुत्र, श्रीधर और प्राणनायक कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

अस्माकं वांछितं देहि देहि पुत्रं रमापते ।

भगवन् कृष्ण सर्वेश वासुदेव जगत्पते ॥39॥

हे रमापति, भगवान कृष्ण, सर्वेश्वर, वासुदेव, और जगत्पति! कृपया हमारी इच्छित संतान प्रदान करें।

 

रमाहृदयसम्भार सत्यभामामन:प्रिय ।

देहि मे तनयं कृष्ण रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ॥40॥

हे रमापति, सत्यभामा के प्रिय, और रुक्मिणीवल्लभ प्रभु कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

चन्द्रसूर्याक्ष गोविन्द पुण्डरीकाक्ष माधव ।

अस्माकं भाग्यसत्पुत्रं देहि देव जगत्पते ॥41॥

हे चंद्रसूर्य के समान नेत्रों वाले गोविंद, पुण्डरीकाक्ष, माधव, देव और जगत्पति! कृपया हमें भाग्यशाली और उत्तम संतान प्रदान करें।

 

कारुण्यरूप पद्माक्ष पद्मनाभसमर्चित ।

देहि मे तनयं कृष्ण देवकीनन्दनन्दन ॥42॥

हे करुणामय, पद्मनयन, पद्मनाभ द्वारा पूजित, और देवकीनंदन के प्रिय नंदन कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

देवकीसुत श्रीनाथ वासुदेव जगत्पते ।

समस्तकामफलद देहि मे तनयं सदा ॥43॥

हे देवकीसुत, श्रीनाथ, वासुदेव, और जगत्पति! सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले प्रभु, कृपया मुझे सदा के लिए संतान प्रदान करें।

 

भक्तमन्दार गम्भीर शंकराच्युत माधव ।

देहि मे तनयं गोपबालवत्सल श्रीपते ॥44॥

हे भक्तों के मनोकामना वृक्ष, गम्भीर, शंकर, अच्युत, माधव, गोपबालवत्सल और श्रीपति! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

श्रीपते वासुदेवेश देवकीप्रियनन्दन ।

भक्तमन्दार मे देहि तनयं जगतां प्रभो ॥45॥

हे श्रीपति, वासुदेवेश, देवकी के प्रिय नंदन, और जगत के प्रभु, हे भक्तों के मनोकामना वृक्ष! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

जगन्नाथ रमानाथ भूमिनाथ दयानिधे ।

वासुदेवेश सर्वेश देहि मे तनयं प्रभो ॥46॥

हे जगन्नाथ, रमानाथ, भूमिनाथ, दयानिधि, वासुदेवेश, और सर्वेश्वर प्रभु! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

श्रीनाथ कमलपत्राक्ष वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥47॥

हे श्रीनाथ, कमलनयन, वासुदेव, और जगत्पति कृष्ण! मैं आपकी शरण में आया हूँ, कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

दासमन्दार गोविन्द भक्तचिन्तामणे प्रभो ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥48॥

हे दासों के मनोकामना वृक्ष गोविंद, भक्तों के चिंतामणि प्रभु कृष्ण! मैं आपकी शरण में हूँ, कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

गोविन्द पुण्डरीकाक्ष रमानाथ महाप्रभो ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥49॥

हे गोविंद, पुण्डरीकाक्ष, रमानाथ, और महाप्रभु कृष्ण! मैं आपकी शरण में आया हूँ, कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

श्रीनाथ कमलपत्राक्ष गोविन्द मधुसूदन ।

मत्पुत्रफलसिद्धयर्थं भजामि त्वां जनार्दन ॥50॥

हे श्रीनाथ, कमलनयन, गोविंद, मधुसूदन और जनार्दन! मैं पुत्र प्राप्ति की सिद्धि के लिए आपकी भक्ति करता हूँ।

 

स्तन्यं पिबन्तं जननीमुखाम्बुजं

विलोक्य मन्दस्मितमुज्ज्वलांगम् ।

स्पृशन्तमन्यस्तनमंगुलीभि-

र्वन्दे यशोदांकगतं मुकुन्दम् ॥51॥

मैं उस मुकुंद को नमन करता हूँ जो यशोदा की गोद में है, अपनी माँ के मुखकमल को निहारते हुए मंद मुस्कान के साथ उज्ज्वल देहधारी है और अपनी अंगुलियों से दूसरे स्तन को स्पर्श कर रहा है।

 

याचेsहं पुत्रसन्तानं भवन्तं पद्मलोचन ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥52॥

हे पद्मनयन कृष्ण! मैं आपसे पुत्र संतान की याचना करता हूँ। कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

अस्माकं पुत्रसम्पत्तेश्चिन्तयामि जगत्पते ।

शीघ्रं मे देहि दातव्यं भवता मुनिवन्दित ॥53॥

हे जगत्पति, मुनियों द्वारा वंदित प्रभु! मैं हमारी संतान की संपत्ति के लिए आपकी प्रार्थना करता हूँ। कृपया शीघ्र ही इसे प्रदान करें।

 

वासुदेव जगन्नाथ श्रीपते पुरुषोत्तम ।

कुरु मां पुत्रदत्तं च कृष्ण देवेन्द्रपूजित ॥54॥

हे वासुदेव, जगन्नाथ, श्रीपति, पुरुषोत्तम और देवताओं द्वारा पूजित कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

कुरु मां पुत्रदत्तं च यशोदाप्रियनन्दन ।

मह्यं च पुत्रसंतानं दातव्यं भवता हरे ॥55॥

हे यशोदा के प्रिय नंदन हरे! कृपया मुझे संतान प्रदान करें और मुझे पुत्र सुख प्रदान करने की कृपा करें।

 

वासुदेव जगन्नाथ गोविन्द देवकीसुत ।

देहि मे तनयं राम कौसल्याप्रियनन्दन ॥56॥

हे वासुदेव, जगन्नाथ, गोविंद, देवकीसुत, राम और कौसल्या के प्रिय नंदन! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

पद्मपत्राक्ष गोविन्द विष्णो वामन माधव ।

देहि मे तनयं सीताप्राणनायक राघव ॥57॥

हे पद्मपत्राक्ष, गोविंद, विष्णु, वामन, माधव, और सीता के प्राणनायक राघव! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

कंजाक्ष कृष्ण देवेन्द्रमण्डित मुनिवन्दित ।

लक्ष्मणाग्रज श्रीराम देहि मे तनयं सदा ॥58॥

हे कमलनयन कृष्ण, देवेंद्र द्वारा पूजित, मुनियों के वंदनीय, लक्ष्मण के अग्रज श्रीराम! कृपया मुझे सदा के लिए संतान प्रदान करें।

 

देहि मे तनयं राम दशरथप्रियनन्दन ।

सीतानायक कंजाक्ष मुचुकुन्दवरप्रद ॥59॥

हे राम, दशरथ के प्रिय नंदन, सीता के नायक, कमलनयन, और मुचुकुंद को वरदान देने वाले प्रभु! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

विभीषणस्य या लंका प्रदत्ता भवता पुरा ।

अस्माकं तत्प्रकारेण तनयं देहि माधव ॥60॥

हे माधव! जैसे आपने पहले विभीषण को लंका प्रदान की थी, उसी प्रकार कृपया हमें भी संतान प्रदान करें।

 

भवदीयपदाम्भोजे चिन्तयामि निरन्तरम् ।

देहि मे तनयं सीताप्राणवल्लभ राघव ॥61॥

हे सीता के प्राणवल्लभ राघव! मैं निरंतर आपके चरणकमलों का चिंतन करता हूँ। कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

राम मत्काम्यवरद पुत्रोत्पत्तिफलप्रद ।

देहि मे तनयं श्रीश कमलासनवन्दित ॥62॥

हे राम, मेरी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले और संतान सुख प्रदान करने वाले! हे श्रीपति, कमलासन ब्रह्मा द्वारा वंदित प्रभु! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

राम राघव सीतेश लक्ष्मणानुज देहि मे ।

भाग्यवत्पुत्रसंतानं दशरथात्मज श्रीपते ॥63॥

हे राम, राघव, सीता के स्वामी, लक्ष्मण के अनुज, दशरथ के पुत्र और श्रीपति! कृपया मुझे भाग्यशाली पुत्र संतान प्रदान करें।

 

देवकीगर्भसंजात यशोदाप्रियनन्दन ।

देहि मे तनयं राम कृष्ण गोपाल माधव ॥64॥

हे देवकी के गर्भ से उत्पन्न, यशोदा के प्रिय नंदन, राम, कृष्ण, गोपाल, और माधव! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

कृष्ण माधव गोविन्द वामनाच्युत शंकर ।

देहि मे तनयं श्रीश गोपबालकनायक ॥65॥

हे कृष्ण, माधव, गोविंद, वामन, अच्युत, शंकर, श्रीपति, और गोपबालकों के नायक! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

गोपबालमहाधन्य गोविन्दाच्युत माधव ।

देहि मे तनयं कृष्ण वासुदेव जगत्पते ॥66॥

हे गोपबालों के लिए महाधन्य, गोविंद, अच्युत, माधव, कृष्ण, वासुदेव, और जगत्पति! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

दिशतु दिशतु पुत्रं देवकीनन्दनोsयं

दिशतु दिशतु शीघ्रं भाग्यवत्पुत्रलाभम् ।

दिशति दिशतु श्रीशो राघवो रामचन्द्रो

दिशतु दिशतु पुत्रं वंशविस्तारहेतो: ॥67॥

देवकीनंदन शीघ्र ही मुझे सौभाग्यशाली पुत्र का आशीर्वाद प्रदान करें। श्रीपति, राघव और रामचंद्र कृपया वंश विस्तार के लिए मुझे संतान प्रदान करें।

 

दीयतां वासुदेवेन तनयो मत्प्रिय: सुत: ।

कुमारो नन्दन: सीतानायकेन सदा मम ॥68॥

वासुदेव द्वारा मुझे प्रिय पुत्र प्रदान किया जाए, और सीता के नायक श्रीराम सदा मुझे कुमार और नंदन रूपी संतान प्रदान करें।

 

राम राघव गोविन्द देवकीसुत माधव ।

देहि मे तनयं श्रीश गोपबालकनायक ॥69॥

हे राम, राघव, गोविंद, देवकीसुत, माधव, श्रीपति, और गोपबालक के नायक! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

वंशविस्तारकं पुत्रं देहि मे मधुसूदन ।

सुतं देहि सुतं देहि त्वामहं शरणं गत: ॥70॥

हे मधुसूदन! कृपया मुझे वंश का विस्तार करने वाला पुत्र प्रदान करें। मुझे संतान दें, मुझे संतान दें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

ममाभीष्टसुतं देहि कंसारे माधवाच्युत ।

सुतं देहि सुतं देहि त्वामहं शरणं गत: ॥71॥

हे कंस के शत्रु, माधव, और अच्युत! कृपया मुझे मेरी अभिलाषित संतान प्रदान करें। मुझे संतान दें, मुझे संतान दें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

चन्द्रार्ककल्पपर्यन्तं तनयं देहि माधव ।

सुतं देहि सुतं देहि त्वामहं शरणं गत: ॥72॥

हे माधव! कृपया मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो चंद्र और सूर्य की आयु के समान दीर्घायु हो। मुझे संतान दें, मुझे संतान दें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

विद्यावन्तं बुद्धिमन्तं श्रीमन्तं तनयं सदा ।

देहि मे तनयं कृष्ण देवकीनन्दन प्रभो ॥73॥

हे कृष्ण, देवकीनंदन प्रभु! कृपया मुझे सदा के लिए विद्वान, बुद्धिमान और श्रीसम्पन्न पुत्र प्रदान करें।

 

नमामि त्वां पद्मनेत्र सुतलाभाय कामदम् ।

मुकुन्दं पुण्डरीकाक्षं गोविन्दं मधुसूदनम् ॥74॥

मैं पद्मनयन, इच्छाओं को पूर्ण करने वाले मुकुंद, पुण्डरीकाक्ष, गोविंद, और मधुसूदन को संतान प्राप्ति के लिए नमन करता हूँ।

 

भगवन कृष्ण गोविन्द सर्वकामफलप्रद ।

देहि मे तनयं स्वामिंस्त्वामहं शरणं गत: ॥75॥

हे भगवान कृष्ण, गोविंद, सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले स्वामी! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

स्वामिंस्त्वं भगवन् राम कृष्ण माधव कामद ।

देहि मे तनयं नित्यं त्वामहं शरणं गत: ॥76॥

हे स्वामी, भगवान राम, कृष्ण, माधव, और कामनाओं को पूर्ण करने वाले! कृपया मुझे सदा के लिए संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

तनयं देहि गोविन्द कंजाक्ष कमलापते ।

सुतं देहि सुतं देहि त्वामहं शरणं गत: ॥77॥

हे गोविंद, कमलनयन, और कमलापति! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मुझे संतान दें, मुझे संतान दें। मैं आपकी शरण में आया हूँ।

 

पद्मापते पद्मनेत्र प्रद्युम्नजनक प्रभो ।

सुतं देहि सुतं देहि त्वामहं शरणं गत: ॥78॥

हे पद्मपति, पद्मनेत्र और प्रद्युम्न के पिता प्रभु! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मुझे संतान दें, मुझे संतान दें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

शंखचक्रगदाखड्गशांर्गपाणे रमापते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥79॥

हे शंख, चक्र, गदा, खड्ग, शारंगधारी, रमापति कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

नारायण रमानाथ राजीवपत्रलोचन ।

सुतं मे देहि देवेश पद्मपद्मानुवन्दित ॥80॥

हे नारायण, रमानाथ, राजीवपत्रलोचन, देवेश! कृपया मुझे संतान प्रदान करें, जो पद्मपद्मानु द्वारा वंदित हो।

 

राम राघव गोविन्द देवकीवरनन्दन ।

रुक्मिणीनाथ सर्वेश नारदादिसुरार्चित ॥81॥

हे राम, राघव, गोविंद, देवकी के वरणंदन, रुक्मिणीनाथ, सर्वेश्वर, और नारद सहित देवों द्वारा पूजित! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं श्रीश गोपबालकनायक ॥82॥

हे देवकीसुत, गोविंद, वासुदेव, जगत्पति श्रीपति और गोपबालक नायक! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

मुनिवन्दित गोविन्द रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥83॥

हे मुनियों द्वारा वंदित गोविंद, रुक्मिणीवल्लभ प्रभु कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

गोपिकार्जितपंकेजमरन्दासक्तमानस ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥84॥

हे गोपिकार्जित कमल के समान सुंदर, और मकरंद में आसक्त मन वाला कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

रमाहृदयपंकेजलोल माधव कामद ।

ममाभीष्टसुतं देहि त्वामहं शरणं गत: ॥85॥

हे रमाहृदय पंकेजलोल माधव, कामनाओं को पूर्ण करने वाले! कृपया मुझे मेरी इच्छित संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

वासुदेव रमानाथ दासानां मंगलप्रद ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥86॥

हे वासुदेव, रमानाथ, दासों के लिए मंगलप्रद! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

कल्याणप्रद गोविन्द मुरारे मुनिवन्दित ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥87॥

हे कल्याणप्रद गोविंद, मुरारे, मुनियों द्वारा वंदित! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

पुत्रप्रद मुकुन्देश रुक्मिणीवल्लभ प्रभो ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥88॥

हे पुत्र देने वाले मुकुंदेश, रुक्मिणीवल्लभ प्रभु कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

पुण्डरीकाक्ष गोविन्द वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥89॥

हे पुण्डरीकाक्ष गोविंद, वासुदेव, जगत्पति कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

दयानिधे वासुदेव मुकुन्द मुनिवन्दित ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥90॥

हे दयानिधि, वासुदेव, मुकुंद, मुनियों द्वारा वंदित कृष्ण! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

पुत्रसम्पत्प्रदातारं गोविन्दं देवपूजितम् ।

वन्दामहे सदा कृष्णं पुत्रलाभप्रदायिनम् ॥91॥

हम सदा उस कृष्ण को नमन करते हैं, जो पुत्र संपत्ति देने वाले, देवों द्वारा पूजित और पुत्रलाभ प्रदान करने वाले हैं।

 

कारुण्यनिधये गोपीवल्लभाय मुरारये ।

नमस्ते पुत्रलाभार्थं देहि मे तनयं विभो ॥92॥

हे कारुण्य के निधि, गोपीवल्लभ, मुरारे! मैं आपको प्रणाम करता हूँ,मेरे पुत्रलाभ के लिए कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

नमस्तस्मै रमेशाय रुक्मिणीवल्लभाय ते ।

देहि मे तनयं श्रीश गोपबालकनायक ॥93॥

हे रमेश, रुक्मिणीवल्लभ,श्रीपति और गोपबालक नायक! मैं आपको प्रणाम करता हूँ, कृपया मुझे संतान प्रदान करें ।

 

नमस्ते वासुदेवाय नित्यश्रीकामुकाय च ।

पुत्रदाय च सर्पेन्द्रशायिने रंगशायिने ॥94॥

हे वासुदेव, नित्यश्रीकामुक, पुत्र देने वाले, सर्पेन्द्रशायिन और रंगशायिन! मैं आपको प्रणाम करता हूँ, कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

रंगशायिन् रमानाथ मंगलप्रद माधव ।

देहि मे तनयं श्रीश गोपबालकनायक ॥95॥

हे रंगशायिन, रमानाथ, मंगलप्रद माधव,श्रीपति और गोपबालक नायक! कृपया मुझे संतान प्रदान करें।

 

दासस्य मे सुतं देहि दीनमन्दार राघव ।

सुतं देहि सुतं देहि पुत्रं देहि रमापते ॥96॥

हे दीनमंदार राघव, दास के लिए कृपया संतान प्रदान करें। मुझे संतान दें,हे रमापति! मुझे पुत्र का आशीर्वाद दें।

 

यशोदातनयाभीष्टपुत्रदानरत: सदा ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥97॥

हे कृष्ण, यशोदा के प्रिय और पुत्रदान की इच्छा रखने वाले! कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

मदिष्टदेव गोविन्द वासुदेव जनार्दन ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ॥98॥

हे गोविंद, वासुदेव, जनार्दन! जो मेरे इच्छित देव हैं, कृपया मुझे संतान प्रदान करें। मैं आपकी शरण में हूँ।

 

नीतिमान् धनवान् पुत्रो विद्यावांश्च प्रजायते ।

भगवंस्त्वत्कृपायाश्च वासुदेवेन्द्रपूजित ॥99॥

हे भगवान, जो वासुदेव और इंद्र द्वारा पूजित हैं! आपकी कृपा से नीतिमान, धनवान, और विद्या से संपन्न पुत्र उत्पन्न होते हैं।

 

य: पठेत् पुत्रशतकं सोsपि सत्पुत्रवान् भवेत् ।

श्रीवासुदेवकथितं स्तोत्ररत्नं सुखाय च ॥100॥

जो व्यक्ति इस श्रीवासुदेव द्वारा कथित पुत्रशतक का पाठ करता है, वह भी उत्तम और सद्गुणों से सम्पन्न पुत्र प्राप्त करता है। यह स्तोत्र रत्न उनके लिए सुखकारी होता है।

 

जपकाले पठेन्नित्यं पुत्रलाभं धनं श्रियम् ।

ऎश्वर्यं राजसम्मानं सद्यो याति न संशय: ॥101॥

जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नियमित रूप से जप करता है, वह न केवल संतान सुख, धन, और समृद्धि प्राप्त करता है, बल्कि उसे ऐश्वर्य, राजसम्मान और अन्य सभी प्रकार के पुण्य फल भी प्राप्त होते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।

 

॥ इति सन्तानगोपालस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

इस प्रकार सन्तान गोपाल स्तोत्र समाप्त हुआ।

संतान गोपाल स्तोत्रम् का पाठ करने की विधि

किसी शुभ दिन या गुरुवार से इस स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।

स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या बाल गोपाल के चित्र के समक्ष बैठें।

पीले फूल, तुलसी दल और माखन-मिश्री का भोग अर्पित करें।

शांत मन से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उच्चारण करें और फिर संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें।

संतान गोपाल स्तोत्रम् के लाभ

जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है, उनके लिए संतान गोपाल स्तोत्रम चमत्कारी माना गया है।

यह स्तोत्र पढ़ने से गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ और गुणवान संतान की प्राप्ति होती है।

पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

संतान के प्रति माता-पिता की चिंताओं का निवारण होता है।

संतान गोपाल स्तोत्रम् का आध्यात्मिक दृष्टिकोण

संतान गोपाल स्तोत्रम् यह विश्वास दिलाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों की हर प्रार्थना सुनते हैं। इसका पाठ भक्त और भगवान के बीच एक मजबूत आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है। यह स्तोत्र हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।

इस प्रकार, संतान गोपाल स्तोत्रम् केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम है, जो संतान प्राप्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक है।

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