Table of Contents
Toggleवास्तु शास्त्र से घर को कैसे बनाएं भाग्यशाली?
वास्तु शास्त्र का परिचय
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो किसी घर के निर्माण और दिशात्मक संरेखण के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। इसका पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यदि घर का निर्माण वास्तु के अनुसार न किया जाए, तो परिवार के सदस्यों को मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।इस लेख में, हम मुख्य द्वार, रसोई, शयनकक्ष, पूजा स्थल और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।
1. मुख्य द्वार के लिए वास्तु दिशानिर्देश
मुख्य द्वार किसी भी घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि यह घर में ऊर्जा और समृद्धि के प्रवेश का द्वार है। सही दिशा में बना मुख्य द्वार शुभ फल देता है, जबकि गलत दिशा में बना द्वार नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
मुख्य द्वार की सही दिशा:
उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार होने से नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर या स्वस्तिक चिह्न लगाने से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है।
मुख्य द्वार से जुड़े अन्य वास्तु नियम:
मुख्य द्वार बड़ा, सुंदर और मजबूत लकड़ी का होना चाहिए।
दरवाजे के सामने कूड़ा, जूते-चप्पल या कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बाधित करता है।
दरवाजे पर ॐ, स्वस्तिक, शुभ-लाभ जैसे मंगलकारी चिह्न लगाना शुभ माना जाता है।
मुख्य द्वार के पास तुलसी या केले का पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
मुख्य द्वार के अंदर और बाहर अच्छी रोशनी होनी चाहिए।
2. रसोई के लिए वास्तु दिशानिर्देश
रसोई घर का ऊर्जा केंद्र होती है, और इसकी सही दिशा स्वास्थ्य और समृद्धि को प्रभावित करती है। गलत दिशा में बनी रसोई आर्थिक अस्थिरता और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
रसोई के लिए सही दिशा:
दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में रसोई बनाना सबसे शुभ होता है।
दूसरा विकल्प उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) दिशा हो सकती है।
उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि यह मानसिक तनाव और आर्थिक परेशानियाँ बढ़ा सकती है।
रसोई के लिए अन्य वास्तु नियम:
चूल्हा पूर्व दिशा में होना चाहिए और खाना बनाते समय मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।
काला और नीला रंग रसोई में नहीं होना चाहिए; इसके बजाय लाल, नारंगी और पीले रंग का उपयोग शुभ माना जाता है।
सिंक (पानी) और चूल्हा (अग्नि) को पास-पास नहीं रखना चाहिए।
रसोई में तुलसी के पत्ते और कपूर रखने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
3. शयनकक्ष के लिए वास्तु दिशानिर्देश
शयनकक्ष का वास्तु दोष मानसिक तनाव, वैवाहिक जीवन में समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा कर सकता है।
शयनकक्ष की सही दिशा:
सबसे अच्छा स्थान दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) होता है, क्योंकि यह स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
उत्तर-पूर्व में शयनकक्ष नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि यह तनाव और चिंता बढ़ा सकता है।
नवविवाहित दंपति के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में शयनकक्ष शुभ माना जाता है।
शयनकक्ष के लिए अन्य वास्तु नियम:
सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में और पैर उत्तर या पश्चिम में होने चाहिए।
बिस्तर के सामने आईना नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
बिस्तर के नीचे कबाड़, लोहे की वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे मानसिक अशांति हो सकती है।
शयनकक्ष में राधा-कृष्ण या शांतिपूर्ण चित्र लगाना शुभ होता है।
बिस्तर के पास मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं रखने चाहिए, क्योंकि ये नींद पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
4. पूजा स्थल के लिए वास्तु दिशानिर्देश
पूजा स्थल का सही स्थान घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
पूजा स्थल की सही दिशा:
सबसे शुभ स्थान उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) होता है।
पूजा स्थल को शयनकक्ष, बाथरूम या सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए।
पूजा स्थल रसोई या स्टोर रूम के पास नहीं होना चाहिए।
पूजा स्थल के अन्य वास्तु नियम:
मूर्तियाँ बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए और दीवार से सटी नहीं होनी चाहिए।
सफेद, पीला या हल्का गुलाबी रंग पूजा स्थल के लिए शुभ माना जाता है।
दीपक और अगरबत्ती दक्षिण-पूर्व दिशा में जलाने चाहिए।
पूजा स्थल में तुलसी का पौधा और गंगाजल रखना शुभ माना जाता है।
5. घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के उपाय
घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए कुछ सरल वास्तु उपाय अपनाए जा सकते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के उपाय:
मुख्य द्वार पर स्वस्तिक या शुभ चिह्न लगाएं।
घर में नियमित रूप से गंगाजल का छिड़काव करें।
सुबह-शाम कपूर और घी का दीपक जलाएं।
तुलसी, मनी प्लांट और केले का पौधा लगाएं।
टूटी हुई वस्तुएं (आईना, घड़ी, बर्तन) घर में न रखें।
सप्ताह में एक बार गौमूत्र या लोबान जलाकर घर की शुद्धि करें।
पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो।
घर में पुराने कपड़े, जूते-चप्पल और बेकार सामान इकट्ठा न करें।
मंत्रों का जाप और भजन सुनना शुभ होता है।