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Toggleमंगल भवन अमंगल हारी भजन लिरिक्स – Mangal Bhawan Amangal Haari Lyrics In Hindi
हिंदू धर्म में चौपाई, दोहा और श्लोक आदि का विशेष महत्व रहा है। आप कई बार मंदिर जाते होंगे ही या घर पर ही पूजा करते होंगे तो कई बार आप या आपके घर के लोग कई चौपाई, दोहा और श्लोक का पाठ करते हैं इन्ही में से एक है मंगल भवन अमंगल हारी चौपाई। इस चौपाई को आपने कई बार सुना होगा। क्यर आपको इस चौपाई का हिंदी में अर्थ मालूम है। आज हम आपको इस चौपाई का हिंदी भावार्थ बता रहे हैं।
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी
अर्थ : जो मंगल करने वाले और अमंगल हो दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझपर अपनी कृपा करे।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अर्थ : जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है ,वही होगा | हम्हारे कुछ करने से वो बदल नही सकता।
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी
अर्थ : बुरे समय में यह चार चीजे हमेशा परखी जाती है , धैर्य , मित्र , पत्नी और धर्म।
जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
अर्थ : सत्य को कोई छिपा नही सकता , सत्य का सूर्य उदय जरुर होता है।
हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी
अर्थ : जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
अर्थ : रघुकुल परम्परा में हमेशा वचनों को प्राणों से ज्यादा महत्व दिया गया है।
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
अर्थ : प्रभु श्री राम भी अंनत हो और उनकी कीर्ति भी अपरम्पार है ,इसका कोई अंत नही है। बहुत सारे संतो ने प्रभु की कीर्ति का अलग अलग वर्णन किया है।
मंगल भवन अमंगल हारी भजन का अर्थ:
इस भजन का मुख्य संदेश यह है कि भगवान राम हर प्रकार की अमंगलता (अशुभता) को समाप्त करते हैं और अपने भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं।
भजन के बोल हैं:
“मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सो दसरथ अजिर बिहारी।”
इसका अर्थ:
मंगल भवन: शुभता का स्थान या घर।
अमंगल हारी: जो अमंगल (अशुभता) को नष्ट करते हैं।
द्रवहु: करुणा करना।
सो दशरथ अजिर बिहारी: वे भगवान राम, जो दशरथ के आंगन (अजिर) में क्रीड़ा करते हैं।
भावार्थ:
हे भगवान राम, आप जो सभी अमंगलों को हरने वाले और शुभता के घर हैं, कृपया मुझ पर अपनी करुणा करें।
मंगल भवन अमंगल हारी भजन का महत्व:
आध्यात्मिक शांति: इस भजन को गाने या सुनने से मन को शांति और संतोष मिलता है।
भक्ति का विकास: यह भजन भक्तों के दिलों में भगवान राम के प्रति भक्ति और श्रद्धा को गहराई देता है।
संस्कृति का प्रतीक: यह भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पवित्रता का अनुभव: इसे सुनने से वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी यह भजन धार्मिक उत्सवों, रामनवमी, और अन्य आध्यात्मिक आयोजनों के दौरान विशेष रूप से गाया जाता है। इसे अक्सर भजन मंडलियों द्वारा समूह में गाया जाता है, जिससे सामूहिक भक्ति और आनंद का अनुभव होता है। आप इसे गुनगुनाने या सुनने के दौरान भगवान राम के प्रति अपने प्रेम और विश्वास को और मजबूत महसूस कर सकते हैं।
“मंगल भवन अमंगल हारी” भजन की विशेषताएँ:
इस भजन की कई विशेषताएँ इसे भक्तों के बीच अद्वितीय और प्रिय बनाती हैं।
1. शब्दों की सरलता और गहराई: भजन के शब्द अत्यंत सरल और सीधे हैं, लेकिन उनका भावार्थ अत्यंत गहन है। यह भगवान राम की दयालुता और उनकी शक्ति को व्यक्त करता है।
2. रामचरितमानस से प्रेरित: यह भजन तुलसीदास जी की रामचरितमानस से लिया गया है, जो भगवान राम के जीवन और गुणों को अद्भुत तरीके से प्रस्तुत करता है। रामचरितमानस भारतीय भक्ति साहित्य का एक रत्न है, और यह भजन उसी से प्रेरणा लेकर भक्तों को जोड़ता है।
3. शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक: भजन भगवान राम को “मंगल के स्रोत” और “अमंगल को हरने वाले” के रूप में प्रस्तुत करता है। इसे सुनने और गाने से वातावरण में शुभता और सकारात्मकता का संचार होता है।
4. संगीत और भक्ति का अनूठा मिश्रण: इस भजन को विभिन्न संगीत शैलियों में गाया जाता है—धीमी, मध्यम और तेज धुनों में। हर शैली में इसका भाव वही रहता है: भक्ति और समर्पण।
5. सार्वभौमिक अपील: यह भजन किसी एक विशेष जाति, वर्ग, या समुदाय तक सीमित नहीं है। यह भगवान राम के सभी भक्तों के लिए है और उनकी कृपा की सार्वभौमिकता को दर्शाता है।
6. संस्कृत और लोक भाषा का मिश्रण: इसके शब्द संस्कृत और अवधी भाषा का सुंदर संगम हैं। यह भारत के गांवों और शहरों में समान रूप से लोकप्रिय है।
7. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: यह भजन धार्मिक उत्सवों, रामायण पाठ, रामनवमी, और रामलीला के दौरान विशेष रूप से गाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति में भक्ति आंदोलन का हिस्सा है।
8. भावनात्मक शांति: इस भजन को गाने या सुनने से मन को असीम शांति और सुकून मिलता है। यह मानसिक अशांति, भय, और चिंता को दूर करने में सहायक माना जाता है।
9. आध्यात्मिक ऊर्जा: यह भजन भगवान राम की कृपा और उनकी उपस्थिति को महसूस कराने का एक माध्यम है। इसे भक्तों को ध्यान, प्रार्थना, और साधना के दौरान गाने की सलाह दी जाती है।
10. समूह भक्ति का अनुभव: इसे भजन मंडलियों में सामूहिक रूप से गाने का रिवाज है। यह सामूहिक भक्ति और आनंद का अनुभव कराता है, जो भक्तों को एकता के सूत्र में बाँधता है।
निष्कर्ष:
“मंगल भवन अमंगल हारी” केवल एक भजन नहीं है, बल्कि यह भगवान राम की भक्ति और उनकी कृपा का जीवंत अनुभव कराने वाला माध्यम है। यह भगवान राम की महिमा का गान करते हुए भक्तों के जीवन में शुभता और शांति लाता है
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