मैं बालक तू माता शेरां वालिए भजन लिरिक्स | Main Balak Tu Mata Sheranwaliye Bhajan Lyrics in Hindi

मैं बालक तू माता शेरां वालिए

मैं बालक तू माता शेरां वालिए – भजन

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,

है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो,

मैं बालक तू माता शेरां वालिए

है अटूट ये नाता शेरां वालिए

है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो,

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,

है अटूट ये नाता शेरां वालिए,

शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,

मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ,

 

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,

है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो,

मैं बालक तू माता शेरां वालिए

है अटूट ये नाता शेरां वालिए

 

तेरी ममता मिली है मुझको,

तेरा प्यार मिला है,

तेरे आँचल की छाया में,

मन का फूल खिला है,

तुने बुद्धि, तुने साहस,

तुने बुद्धि, तुने साहस तुने ज्ञान दिया,

मस्तक ऊँचा करके जीने के वरदान दिया माँ,

तू है भाग्य विधाता शेरां वालिए,

मैं बालक तू माता शेरा वालिए,

शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,

मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ,

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,

है अटूट ये नाता शेरां वालिए,

 

जब से दो नैनो में तेरी पावन ज्योत समायी,

मंदिर मंदिर तेरी मूरत देने लगी दिखाई,

ऊँचे पर्वत पर मैंने भी डाल दिया है डेरा,

निस दें करे जो तेरी सेवा मैं वो दास हूँ तेरा,

रहूँ तेरे गुण गाता शेरां वालिए,

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,

शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,

मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ,

 

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,

है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो,

मैं बालक तू माता शेरा वालिए,

है अटूट ये नाता शेरा वालिए,

जय शेरावाली, जय भवनावाली,

जय मेहरावाली जय ज्योतांवाली,

“मैं बालक तू माता शेरां वालिए” भजन का भक्ति रस से भरा सुंदर भावार्थ

“मैं बालक तू माता शेरां वालिए” एक अत्यंत भावनात्मक और भक्तिभाव से भरा हुआ भजन है, जो भक्त और मां दुर्गा के बीच के शाश्वत संबंध को दर्शाता है। इस भजन में एक सच्चे भक्त की भावना झलकती है, जो स्वयं को माता का नन्हा बालक मानता है और हर परिस्थिति में उसकी ममता, मार्गदर्शन और रक्षा का आभारी है।

भजन के बोलों में माता के विभिन्न रूपों — शेरां वालिए, पहाड़ा वालिए, मेहरा वालिए, ज्योतां वालिए — का स्मरण करते हुए यह बताया गया है कि कैसे माता की छाया में भक्त का जीवन खिला है। माता ने उसे बुद्धि, साहस और आत्मविश्वास दिया, जिससे वह मस्तक ऊँचा करके जीने का वरदान प्राप्त करता है।

भजन का अंतिम भाग अत्यंत प्रभावशाली है, जहाँ भक्त कहता है कि जब से माता की ज्योति उसकी आँखों में समाई है, तब से उसे हर मंदिर में माता की मूरत दिखने लगी है। वह अपनी सेवा को माता का दासत्व मानता है और जीवन भर माँ के गुण गाने का प्रण लेता है।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *