इस ब्लॉग में हम आपके लिए लेकर आये हैं Shani Dev Aarti Lyrics । प्रभु की आरती गाएं और उन्हें भक्ति भाव से याद करें।
।।आरती।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
इस shanidev aarti lyrics “जय जय श्री शनिदेव” में भगवान शनि की महिमा का गुणगान किया गया है। इस jai shani dev aarti lyrics में भगवान शनि को सूर्यदेव के पुत्र और प्रभु छाया महतारी कहा गया है। वे चारभुजा धारी हैं और नीलाम्बर नाथ हैं। इनके मुख्य वाहन के रूप में गज का उल्लेख किया गया है। इस शनिदेव आरती लिरिक्स में भगवान शनि के विशेष रूप, मुखुट, माला, और पसंदीदा आहार का भी वर्णन किया गया है। भगवान शनि के आराधक इनके पास आते हैं और इनसे सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।