इस ब्लॉग के माध्यम से आपके लिए प्रस्तुत है aarti shree ramayan ji ki lyrics। इस आरती श्री रामायण जी की लिरिक्स को गाएं और उनकी भक्ति में डूब जाएं।
॥आरती॥
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥
शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
गावत बेद पुरान अष्टदस ।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥
मुनि जन धन संतान को सरबस ।
सार अंश सम्मत सब ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
गावत संतत शंभु भवानी ।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी ।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ॥
दलनि रोग भव मूरि अमी की ।
तात मातु सब बिधि तुलसी की ॥
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥
यह aarti shree ramayan ji ki lyrics श्री राम जी की महानता की महिमा गाती है और उनकी वीरता का बखान करती है। आरती श्री रामायण जी की लिरिक्स में बताया गया है कि ब्रह्मा, नारद, बाल्मीकि, शुक, सनक, शेष, और शारद आदि मुनि और ऋषि भगवान राम की स्तुति करते हैं। इस ramayan ji ki aarti lyrics में भगवान राम की कीर्ति की प्रशंसा की गई है और उनके महात्म्य को प्रकट किया गया है।