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Toggleघर की इस दिशा में लगाएं शीशा(आईना) दिन-दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की और धनवर्षा, बनने लगेंगे बिगड़े काम
भारतीय वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है जो जीवन के हर पहलू को सकारात्मक ऊर्जा के साथ जोड़ता है। घर की बनावट से लेकर उसमें इस्तेमाल होने वाले प्रत्येक वस्तु की दिशा, स्थिति और स्थान का गहरा असर हमारे जीवन पर पड़ता है। इन्हीं वस्तुओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है — शीशा या आईना। आईना केवल चेहरे या वस्त्र देखने के लिए नहीं, बल्कि वास्तु में यह ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करने वाला एक शक्तिशाली यंत्र माना जाता है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि घर में शीशा किस दिशा में लगाना चाहिए? क्या किसी भी दीवार पर शीशा लगाया जा सकता है? क्या इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है? इन सभी सवालों के जवाब हम इस विस्तृत लेख में जानेंगे।
वास्तु शास्त्र में शीशे का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, आईना केवल एक सजावटी वस्तु नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा को परावर्तित (reflect) करने का काम करता है। यदि इसे सही दिशा में लगाया जाए तो यह सकारात्मक ऊर्जा को घर के अंदर बढ़ा सकता है। वहीं, यदि इसे गलत दिशा में लगाया जाए, तो यह घर में तनाव, दरिद्रता और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है।
शीशा दो तरह से प्रभाव डालता है:
ऊर्जा को परावर्तित करता है।
किसी वस्तु या दिशा की ऊर्जा को दोहराता है।
इसलिए सही दिशा में लगाया गया आईना घर की समृद्धि और शांति में योगदान देता है।
घर में शीशा लगाने की सही दिशा कौन सी है?
1. उत्तर दिशा (North Direction)
वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है — जो धन के देवता हैं। इस दिशा में आईना लगाने से आर्थिक प्रगति और धन वृद्धि होती है।
फायदे:
धन आगमन बढ़ता है।
मानसिक स्पष्टता और सकारात्मक सोच में वृद्धि होती है।
व्यापार और नौकरी में तरक्की होती है।
कैसे लगाएं:
आईना उत्तर दीवार पर इस तरह लगाएं कि उसमें कोई मुख्य दरवाज़ा या खिड़की प्रतिबिंबित हो।
आईने का फ्रेम हल्के रंगों का होना चाहिए।
2. पूर्व दिशा (East Direction)
पूर्व दिशा सूर्य देव की मानी जाती है। इस दिशा में आईना लगाना मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ के लिए अच्छा माना जाता है।
फायदे:
घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है।
विद्यार्थियों के लिए लाभकारी होता है।
कैसे लगाएं:
पूर्व दीवार पर आईना इस प्रकार लगाएं कि उसमें प्राकृतिक प्रकाश या खुली खिड़की प्रतिबिंबित हो।
इस दिशा में गोल या अंडाकार आईने का प्रयोग शुभ होता है।
शीशा लगाने की गलत दिशाएं
1. दक्षिण दिशा (South Direction)
यह दिशा यम की मानी जाती है और इसे मृत ऊर्जा से संबंधित माना गया है। इस दिशा में आईना लगाना वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है।
हानियाँ:
पारिवारिक झगड़े बढ़ सकते हैं।
आर्थिक हानि हो सकती है।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं।
2. पश्चिम दिशा (West Direction)
पश्चिम दिशा में आईना लगाना आमतौर पर टाला जाता है, क्योंकि यह स्थायित्व की दिशा है और यहां परावर्तित ऊर्जा रुकावट उत्पन्न कर सकती है।
हानियाँ:
निर्णय लेने में भ्रम।
कार्यों में देरी।
संचार में कमी।
शयनकक्ष (Bedroom) में शीशा कहाँ लगाएं?
बेडरूम में आईना लगाना एक आम बात है, खासकर ड्रेसिंग टेबल के रूप में। लेकिन वास्तु में इसकी विशेष सावधानियाँ दी गई हैं।
क्या न करें:
बिस्तर पर लेटे हुए जब आपका प्रतिबिंब शीशे में दिखे, तो यह अत्यधिक नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
इससे अनिद्रा, मानसिक तनाव, और वैवाहिक संबंधों में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
क्या करें:
यदि शीशा बेड से सामने है, तो उस पर पर्दा डालें या रात में ढक दें।
बेडरूम में आईना पूर्व या उत्तर दिशा की दीवार पर लगाएं।
दर्पण या शीशा लगाने के वास्तु नियम
1. टूटा हुआ शीशा न रखें
वास्तु के अनुसार टूटे हुए या दरार वाले शीशे से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे दुर्भाग्य, विवाद और अशांति आती है। यदि शीशा टूट जाए, तो तुरंत उसे हटा दें।
2. दरवाजे के ठीक सामने शीशा लगाने से बचें
मुख्य द्वार के सामने शीशा लगाने से घर में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा बाहर परावर्तित हो जाती है। इसलिए मुख्य दरवाजे के ठीक सामने आईना लगाने से बचना चाहिए।
3. रसोईघर में शीशा न लगाएं
किचन में शीशा लगाना वास्तु के अनुसार वर्जित है, क्योंकि यह अग्नि तत्व को प्रभावित करता है और घर की महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
4. आईने का आकार और फ्रेम
आईना चौकोर या आयताकार हो तो श्रेष्ठ माना जाता है।
गोल और अंडाकार आईने भी पूर्व दिशा में शुभ होते हैं।
काले या बहुत गहरे रंग के फ्रेम से बचें। हल्के रंग जैसे सफेद, चांदी, या सुनहरे फ्रेम शुभ माने जाते हैं।
5. आईने को साफ-सुथरा रखें
गंदे या धूल-धूसरित आईने से नकारात्मकता आती है। इसलिए नियमित रूप से आईने की सफाई करें।
घर के विभिन्न स्थानों में शीशा लगाने के वास्तु सुझाव
स्थान सुझाई गई दिशा टालने योग्य दिशा टिप्पणी
लिविंग रूम उत्तर या पूर्व दक्षिण सजावटी दर्पण हो सकता है
बेडरूम पूर्व की दीवार बेड के सामने पर्दा या कवर का प्रयोग करें
बाथरूम दरवाज़े के पीछे सामने नहीं अच्छी वेंटिलेशन होनी चाहिए
ड्रेसिंग रूम उत्तर या पूर्व दक्षिण-पश्चिम रोशनी अच्छी होनी चाहिए
शीशे से संबंधित वास्तु उपाय
उत्तर दिशा में आईना लगाकर धन-संपत्ति का प्रतीक (जैसे लक्ष्मीजी की तस्वीर) परावर्तित करवाएं।
शीशे के पास छोटे पौधे या क्रिस्टल बॉल रखें — यह ऊर्जा को संतुलित करते हैं।
बाथरूम के बाहर आईना न लगाएं, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है।
आईने में मंदिर या पूजा स्थल का प्रतिबिंब न आए, यह वास्तु दोष पैदा करता है।
निष्कर्ष
शीशा एक ऐसी वास्तु वस्तु है जो ऊर्जा को परावर्तित करके घर के माहौल को सकारात्मक या नकारात्मक दोनों बना सकता है। अगर इसे सही दिशा, सही स्थान और सही उद्देश्य के साथ प्रयोग किया जाए तो यह घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति ला सकता है। वहीं थोड़ी सी भी अनदेखी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
इसलिए जब भी आप अपने घर में शीशा लगाएं, तो ऊपर बताए गए वास्तु नियमों का पालन अवश्य करें और यदि संभव हो तो किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह भी लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या बिस्तर के सामने आईना लगाना वास्तु दोष माना जाता है?
हाँ, वास्तु शास्त्र के अनुसार बेड के ठीक सामने आईना लगाने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और यह मानसिक तनाव, अनिद्रा और वैवाहिक जीवन में समस्याएँ ला सकता है। अगर पहले से लगा है, तो इसे किसी कपड़े से ढकना उचित रहेगा।
2. क्या बाथरूम में शीशा लगाना वास्तु के अनुसार सही है?
बाथरूम में आईना लगाया जा सकता है, लेकिन इसे इस तरह लगाएं कि उसका प्रतिबिंब मुख्य दरवाजे की ओर न हो। साथ ही, बाथरूम का शीशा हमेशा साफ और दुरुस्त रखना चाहिए।
3. क्या रसोई में आईना लगाना सही है?
नहीं, वास्तु के अनुसार रसोईघर में शीशा नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह अग्नि तत्व के संतुलन को प्रभावित कर सकता है और घर की महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
4. क्या टूटे हुए आईने से वास्तु दोष होता है?
हाँ, टूटा या दरार पड़ा हुआ आईना नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और यह दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे तुरंत हटा देना चाहिए।
5. कौन से आकार का आईना वास्तु के अनुसार शुभ होता है?
चौकोर और आयताकार आईना सबसे शुभ माना जाता है। गोल और अंडाकार शीशे पूर्व दिशा में प्रयोग किए जा सकते हैं, लेकिन अनियमित या त्रिकोणीय आकृति के शीशे से बचना चाहिए।
6. क्या मुख्य दरवाजे के सामने आईना लगाना सही है?
नहीं, मुख्य द्वार के सामने आईना लगाने से घर में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा बाहर लौट जाती है। इससे घर में अशांति और आर्थिक समस्या उत्पन्न हो सकती है।
7. क्या आईना उत्तर दिशा में लगाना धन वृद्धि के लिए फायदेमंद है?
जी हाँ, उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी जाती है और इस दिशा में आईना लगाने से आर्थिक उन्नति और समृद्धि आती है।
8. क्या आईने में मंदिर का प्रतिबिंब आ सकता है?
वास्तु के अनुसार आईने में मंदिर, मूर्तियाँ या दीपक का प्रतिबिंब नहीं आना चाहिए। यह अनादर माना जाता है और नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
9. आईना लगाने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
दिशा का चयन करें (उत्तर या पूर्व शुभ होती है)
टूटा या धुंधला शीशा न लगाएं
बेड के सामने या मुख्य दरवाजे के सामने न लगाएं
फ्रेम हल्के रंग का चुनें
नियमित सफाई करें
10. क्या ऑफिस या दुकान में भी वास्तु के अनुसार शीशा लगाना जरूरी है?
हाँ, ऑफिस या दुकान में भी आईने की सही दिशा ऊर्जा संतुलन में मदद करती है। विशेष रूप से उत्तर दिशा में शीशा लगाकर कैश काउंटर को प्रतिबिंबित करना धन वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।