इस ब्लॉग में हम आपके लिए लेकर आये हैं sun meri devi parvat vasini lyrics । माता की आरती गाएं और भक्ति भाव से माता को याद करें।
॥आरती॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
नंगे पग मां अकबर आया ।
सोने का छत्र चडाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।
निचे शहर बसाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कालियुग राज सवाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
धूप दीप नैवैध्य आर्ती ।
मोहन भोग लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।
मनवंचित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
“विन्ध्येश्वरी आरती लिरिक्स” एक प्रमुख हिन्दू आरती है जो मां विन्ध्येश्वरी को समर्पित है। इस sun meri devi parvat vasini lyrics का मुख्य उद्देश्य भक्तों को भक्ति मार्ग पर अग्रसर करना है। यह sun meri devi parvat vasini aarti lyrics मां के पावन व भव्य श्रृंगार का भी जिक्र करती है।
इस विन्धेश्वरी आरती लिरिक्स के बोल सुंदर तरीके से मां के पवित्र स्थल का वर्णन करते हैं और उनके भक्तों के भक्तिभाव को प्रकट करते हैं।