ओम जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स | Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपके लिए लेकर आये हैं ‘भगवान विष्णु की आरती लिरिक्स‘। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उनकी ये आरती जरूर करें। भगवान विष्णु की आरती- ‘Om Jai Jagdish Hare Lyrics’ हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध आरती है
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे ||
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का,सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का,
ॐ जय जगदीश हरे ||
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी, तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी,
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी, पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी,
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता, मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता,
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति,
ॐ जय जगदीश हरे ||
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे, अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे,
ॐ जय जगदीश हरे ||
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा,
ॐ जय जगदीश हरे ||
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे ||
भगवान विष्णु की आरती का क्या महत्व है?
Om Jai Jagdish Hare Lyrics का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व माना जाता है, जो भगवान विष्णु की पूजा और स्तुति का हिस्सा है। आरती के द्वारा भगवान की महिमा और कृपा को अभिव्यक्त किया गया है।
विष्णु भगवान की आरती का पाठ सुखद वातावरण बनाने में मदद करता है। इस आरती पाठ के द्वारा भक्त मन को शांत रख सकते हैं और दैनिक जीवन में आंतरिक शांति की ओर बढ़ सकते हैं।
इसके अलावा, विष्णु भगवान की आरती का पाठ भक्तों को आदर्श जीवन और नैतिकता की दिशा में अग्रसर करता है। यह उन्हें धार्मिक मूल्यों और नैतिकता के प्रति सजग होने का मौका देता है और उन्हें अच्छे कर्मों की ओर प्रोत्साहित करता है।
इस प्रकार, विष्णु भगवान की आरती का पाठ आध्यात्मिक और नैतिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण होता है और यह भक्तों को उनके धार्मिक मार्ग पर चलने में मदद करता है।
भगवान विष्णु की आरती का सही समय क्या है?
भगवान विष्णु की आरती का पाठ आप दिन के किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन कुछ विशेष अवस्थाओं में इसका पाठ करना अधिक पुण्यकारी माना जाता है:
1. सुबह की आरती : om jai jagdish hare lyrics का पाठ सूर्योदय के समय किया जाता है। यह माना जाता है कि इस समय आरती करने से दिन सुखमय और शुभ होता है।
2. सन्ध्या की आरती : सन्ध्या के समय, ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स का पाठ किया जाता है, जब सूर्य अस्त होने वाला होता है। यह समय भक्तों के लिए ध्यान और प्रार्थना के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है।
3. व्रत और त्योहारों में : विष्णु भगवान की आरती Om Jai Jagdish Hare Lyrics का पाठ विशेषकर व्रतों और हिन्दू त्योहारों के अवसर पर किया जाता है, जैसे कि एकादशी, कार्तिक मास और वैष्णव त्योहारों के दौरान।
इन सभी परिस्थितियों में, lyrics om jai jagdish hare का पाठ आपकी आध्यात्मिक और धार्मिक साधना का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है और यह आपके दिन को शुभ और सुखमय बना सकता है।
भगवान विष्णु की पूजा के लिए कौन – कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
- भगवान विष्णु जी की प्रतिमा : om jai jagdish hare Lyrics का पाठ करने के लिए सर्प्रथम विष्णु जी की मूर्ती की स्थापना कर लें।
- विष्णु मंत्र : पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र का उच्चारण करें, जैसे कि “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमो नारायणाय”।
- तुलसी पत्ते : तुलसी पत्ते भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं।
- पुष्प : पुष्पों का उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है और इनकी सुगंध आपकी आत्मा को शुद्ध करने में मदद करती है।
- दीपक : om jai jagdish hare Lyrics का पाठ करने से पहले शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित कर लें।
- पूजा की थाली : एक पूजा की थाली की आवश्यकता होती है, जिसमें सभी पूजा सामग्री रखी जाती है।
- जल : आपको lyrics to om jai jagdish hare का पाठ करने से पहले जल का उपयोग करना होता है, जिससे शुद्धिकरण किया जाता है।
- आरती की थाली : आरती की थाली जिसमें दीपक और कुछ विशेष सामग्री होती है।
- प्रसाद : ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स का पाठ करने के पश्चात् भगवान के प्रसाद के रूप में मिठाई या फल का उपयोग करें, जिसे पूजा के बाद भक्तों में बांटा जाता है।
इसके अलावा, पूजा में पान, सुपारी, लौग, इलायची, चौकी, कलश, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, दीपक, रुई, मौली, नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनियां, जौ, गेंहू, चंदन, सुगंध के लिए केवड़ा, गुलाब अथवा चंदन के इत्र का उपयोग भी किया जा सकता है।
भगवान विष्णु की पूजा करने की सही विधि क्या है?
भगवान विष्णु की पूजा की सही विधि नीचे विस्तार में बताई गयी है:
- स्नान : om jai jagdish hare lyrics का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नान करना चाहिए। आप स्नान करके शुद्ध होते हैं और पूजा के लिए तैयार होते हैं।
- पूजा स्थल : एक शुद्ध और साफ पूजा स्थल का चयन करें जो अध्यात्मिक रूप से पवित्र हो।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा : भगवान नारायण की मूर्ति को पूजा स्थल पर रखें।
- पूजा सामग्री : पूजा के लिए अदरक, सूखी फल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, मिठाईयाँ और सुपारी जैसी सामग्री की तैयारी करें।
- मंत्र : भगवान विष्णु की पूजा के दौरान मंत्र पाठ करें, जैसे “ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।”
- पूजा की विधि : भगवान विष्णु की मूर्ति को दूध से स्नान कराएं। फिर उन्हें पुष्प, फल, अन्न और अन्य सामग्री भेंट करें।
- आरती : ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स का पाठ करने से पहले शुद्ध घी में दीपक प्रज्जवलित करके और फिर पूजा करें। आरती के समय पूजा की थाली से भगवान विष्णु की आरती उतारने का विधान होता है।
- प्रसाद : पूजा के बाद, भगवान विष्णु जी को प्रसाद का भोग लगाएं, सभी भक्तों में बांटें और फिर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।