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Toggleओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने – भजन
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ ठंडी छाया बाकी दुनिया धूप है,
जब जब भी इसे पुकारू मै, तस्वीर को इसकी निहारू मै ,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने||
खुश हो जाएगर सावरिया किस्मत को चमका देता,
हांथ पकडले अगर किसी का जीवन धन्यबना देता,
यह बातें सोच विचारू मै, तस्वीर को इसकी निहारू मै,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने||
गिरने से पहले ही आकर बाबा मुझे संभालेगा,
पूरा है विश्वास है कभी तू तूफ़ानो से निकालेगा,
ये तनमन तुझपे वारु मै, तस्वीर को इसकी निहारू मै,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने||
श्याम के आगे मुझको तो ये दुनिया फिकी लगती है,
जिस मोह में और जान है वो इतनी नजदीकी लगती है,
अपनी तक़दीर सवांरु मै, तस्वीर को इसकी निहारू मै,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने,
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने||
ओ मेरा श्याम आजाता मेरे सामने भजन भावार्थ
यह भजन “श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है” प्रभु श्याम के प्रति गहरे प्रेम, विश्वास और समर्पण को व्यक्त करता है। भक्त कहता है कि सुबह उठते ही उसका हृदय केवल श्याम के रूप का दर्शन करना चाहता है। श्याम का साथ उसे ठंडी छाया जैसा सुकून देता है, जबकि बाकी दुनिया धूप जैसी कठोर लगती है।
भक्त अपने जीवन की हर परिस्थिति में श्याम पर भरोसा करता है कि गिरने से पहले ही वह उसे संभाल लेंगे और तूफ़ानों से निकाल देंगे। यहाँ भाव यह है कि श्याम केवल आराध्य ही नहीं, बल्कि जीवन के रक्षक और भाग्य संवारने वाले हैं।
यह भजन इस सत्य को उजागर करता है कि जब कोई अपना तन-मन प्रभु को अर्पित कर देता है तो उसे दुनिया की मोह-माया फीकी लगने लगती है। भक्त केवल यही चाहता है कि उसका श्याम सामने आए और उसके जीवन को दिव्य कृपा से भर दे।