कितना प्यारा है सिंगार भजन लिरिक्स | Kitna Pyara Hai Singar Lyrics in Hindi

कितना प्यारा है सिंगार

कितना प्यारा है सिंगार – भजन 

कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है।।

 

सांवरिया तुमको किसने सजाया है,

तुझे सुन्दर से सुन्दर कजरा पहनाया है,

कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है।।

 

केशर चन्दन तिलक लगाकर,

सज धज कर के बैठ्यो है,

लग गए तेरे चार चाँद जो,

पहले तो निहार

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है,

सांवरिया तेरा चेहरा चमकता है

तेरा कीर्तन बहुत बड़ा,

दरबार महकता है, कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है।।

 

किसी भगत से कह कर कान्हा,

काली टिकी लगवाले

या फिर तू बोले तो लेउ,

नूनराइ वार, कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा हैं,

सांवरिया तेरे भगतो को तेरी फ़िक्र

कही लग ना जाये तुझे,

दुनिया की बुरी नज़र, कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है।।

 

पता नहीं तू किस रंग का है,

आज तलक ना जान सकी,

बनवारी हमने देखे है तेरे रंग हजार,

कितना प्यारा हैं,

ओ हो, कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है,

सांवरिया थोड़ा बच बच के रहना जी

कभी मान भी लो कान्हा,

भक्तो का कहना जी,

कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा हैं सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है।।

 

सांवरिया तेरा रोज करू श्रृंगार

कभी कुटिया में मेरे,

आजाओ एक बार, कितना प्यारा है,

ओ हो, कितना प्यारा है सिंगार,

की तेरी लेउ नज़र उतार,

कितना प्यारा है।।

कितना प्यारा है सिंगार भजन भावार्थ – श्रीकृष्ण की मधुरता

यह भजन “कितना प्यारा है श्रृंगार” श्रीकृष्ण के अद्भुत सौंदर्य और उनके अलौकिक श्रृंगार का मधुर वर्णन करता है। इसमें भक्त अपने सांवरिया के हर रूप को निहारकर आनंदित होता है और प्रेम में डूब जाता है।

कभी कान्हा केसर-चंदन का तिलक लगाकर चमकते हैं, तो कभी उनकी बंसी की धुन और प्यारी मुस्कान से पूरा दरबार महक उठता है। भक्त की आँखें उनके पीले, नीले, काले पटके और गले में वैजयंती माला पर ठहर जाती हैं। भजन में यह भाव झलकता है कि कृष्ण का श्रृंगार इतना अनुपम है कि भक्त उन्हें देख-देखकर बार-बार नज़र उतारना चाहता है।

भक्त कहता है कि सांवरिया का सौंदर्य हजारों रंगों में बसता है, जिसे समझ पाना किसी के लिए संभव नहीं। यही कारण है कि वह रोज़ उनका श्रृंगार करना चाहता है और उन्हें अपने कुटिया में बुलाकर सच्चे प्रेम से पूजा करना चाहता है।

यह कृष्ण भजन प्रेम, भक्ति और श्रृंगार के माधुर्य से ओत-प्रोत है, जो भक्त को श्रीकृष्ण के और भी निकट ले आता है।

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