अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो भजन लिरिक्स (Arey Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do Lyrics in Hindi)

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो भजन

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो – भजन 

देखो देखो यह गरीबी, यह गरीबी का हाल |

कृष्ण के दर पे यह विशवास ले के आया हूँ ||

 

मेरे बचपन का दोस्त हैं मेरा श्याम |

यही सोच कर मैं आस लेके आया हूँ ||

 

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो,

कि दर पे सुदामा गरीब आगया है |

भटकते-भटकते ना जाने कहाँ से,

तुम्हारे महल के करीब आगया है ||

 

ना सर पे हैं पगड़ी, ना तन पे हैं जामा

बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा |

इक बार मोहन से जाकर के कह दो,

कि मिलने सखा बदनसीब आ गया है ||

 

सुनते ही दोड़े चले आये मोहन,

लगाया गले से सुदामा को मोहन |

हुआ रुकमनी को बहुत ही अचम्भा,

ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है ||

 

और बराबर पे अपने सुदामा बिठाये,

चरण आंसुओं से श्याम ने धुलाये |

न घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा,

ख़ुशी का शमा तेरे करीब आ गया है ||

 

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो,

कि दर पे सुदामा गरीब आगया है |

भटकते-भटकते ना जाने कहाँ से,

तुम्हारे महल के करीब आगया है ||

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो भजन भावार्थ

यह भजन सुदामा चरित्र की मार्मिक कथा को भक्ति भाव से प्रस्तुत करता है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार गरीब सुदामा अपने बचपन के सखा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचते हैं। उनके पास न धन है, न वस्त्र, केवल विश्वास और प्रेम ही उनका सहारा है।

सुदामा द्वारपालों से विनती करते हैं कि कृष्ण को संदेश दें कि उनका गरीब मित्र द्वार पर आया है। यह सुनते ही कृष्ण सब कुछ छोड़कर दौड़ पड़ते हैं और अपने सखा को गले लगाते हैं। यह दृश्य रुक्मिणी सहित सभी को आश्चर्यचकित कर देता है, क्योंकि भगवान स्वयं अपने निर्धन भक्त की सेवा में तत्पर हो जाते हैं।

भजन यह सिखाता है कि ईश्वर के दरबार में बाहरी रूप-रंग, वस्त्र या धन-दौलत का कोई महत्व नहीं होता। वहां केवल प्रेम और भक्ति स्वीकार्य होती है। जैसे कृष्ण ने सुदामा को अपने बराबर बिठाकर उनकी गरीबी दूर की, वैसे ही सच्चे प्रेम और विश्वास से किया गया आह्वान प्रभु को तुरंत आकर्षित करता है।

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