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Toggleयशोमती मैया से बोले नंदलाला – भजन
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला,
राधा क्यों गोरी ||
ओ ओ ओ,
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला,
बोली मुस्काती मैया ललन को बताया,
काली अंधियरी आधी रात में तू आया ||
लाडला कंहैया मेरा ओ,
लाडला कंहैया मेरा काली कमली वाला,
इसी लिए काला,
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला ||
बोली मुस्काती मैया सुन मेरे प्यारे,
बोली मुस्काती मैया सुन मेरे प्यारे,
गोरी गोरी राधिका के नैन कजरारे,
काले नैनों वाली ने ओ,
काले नैनों वाली ने ऐसा जादू डाला,
इसी लिए काला ||
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला,
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला ||
यशोमती मैया से बोले नंदलाला भजन भावार्थ
“यशोमती मैया से बोले नंदलाला” एक बेहद प्रिय और मधुर भजन है जिसमें बालकृष्ण अपनी माता यशोदा से भोलेपन से प्रश्न करते हैं—“राधा क्यों गोरी और मैं क्यों काला?” यह प्रश्न केवल रंग-रूप का नहीं बल्कि भक्त और भगवान के बीच की मासूम आत्मीयता को भी दर्शाता है। यशोदा जी बड़ी प्रेमपूर्वक मुस्कुराते हुए समझाती हैं कि कृष्ण अंधियारी रात में जन्मे इसलिए उनका वर्ण सांवला है। साथ ही, राधा की कजरारी आँखों का प्रभाव भी उन पर पड़ा।
यह भजन दर्शाता है कि कृष्ण का सांवला रूप उनकी पहचान और आकर्षण है, जो भक्तों को सहज ही मोहित कर लेता है। राधा और कृष्ण का यह संवाद प्रेम, भक्ति और माधुर्य से भरा है, जो हमें यह सिखाता है कि ईश्वर का रूप रंग नहीं बल्कि उनका स्नेह और लीला ही सबसे अद्वितीय और पवित्र है।
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