ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन भजन लिरिक्स (Aisi Lagi Lagan Meera Ho Gayi Magan Lyrics in Hindi)

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन भजन

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन – भजन 

है आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे,

है शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे ||

 

बेकार वो मुख है जो रहे व्यर्थ बातों में,

मुख वो है जो हरी नाम का सुमिरन किया करे ||

 

हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की,

है हाथ जो भगवान् का पूजन किया करे ||

 

मर कर भी अमर नाम है उस जीव का जग में,

प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ||

 

महलों में पली बन के जोगन चली,

मीरा रानी दीवानी कहाने लगी ||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं

मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी ||

 

कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं,

मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,

बैठी संतो के संग रंगी मोहन के रंग,

मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ||

 

महलों में पली बन के जोगन चली,

मीरा रानी दीवानी कहाने लगी ||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

राणा ने विष दिया मानो अमृत पिया,

मीरा सागर में सरिता समाने लगी ||

 

राणा ने विष दिया मानो अमृत पिया,

मीरा सागर में सरिता समाने लगी ||

 

दुःख लाखों सहे मुख से गोविन्द कहे,

मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ||

 

महलों में पली बन के जोगन चली,

मीरा रानी दीवानी कहाने लगी ||

 

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन,

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन ||

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन भजन भावार्थ

यह भजन मीरा बाई की अटूट भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। इसमें बताया गया है कि सच्ची आँखें वही हैं जो श्याम के दर्शन करें और सच्चे हाथ वही हैं जो प्रभु की सेवा और पूजन में लगें। जीवन का असली मूल्य तब है जब यह ईश्वर प्रेम और नाम-स्मरण में समर्पित हो।

मीरा का प्रेम इतना गहरा था कि उन्होंने महलों की सुख-सुविधाओं को त्यागकर जोगन का मार्ग अपनाया। वे हर गली और हर कोने में कृष्ण के भजनों को गाती रहीं। राणा ने उन्हें विष भी दिया, लेकिन मीरा ने उसे अमृत की तरह ग्रहण किया क्योंकि उनका विश्वास अटूट था। उनके लिए हर दुख भगवान की कृपा था और हर कठिनाई में वे केवल “गोविंद गोपाल” का नाम लेती रहीं।

इस भजन का भावार्थ यह है कि जब इंसान का हृदय पूरी तरह से भगवान की भक्ति में डूब जाता है, तब कोई विष, दुख या कठिनाई उसे विचलित नहीं कर सकता। मीरा की तरह सच्चा प्रेम और समर्पण ही भक्ति का सर्वोच्च रूप है।

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