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Toggleलागी लगन शंकरा – शिव भजन
भोला बाबा तेरी क्या ही बात है
दूर होके भी तू साथ है
ओ दूर होके भी तू साथ है
खुद को मैं कर दूंगा तुझको समर्पण
मैं तेरा अंश हूँ तू मेरा दर्पण
तेरे ही होने से मेरी ये सारी ज़िन्दगी सजी है
लागी मेरी तेरे संग लगी ओ मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
तू पिता है मेरा और तू ही रहेगा
मेरी हर गलती को हंस कर सहेगा
तेरे जाप से मन का उड़ गया है रे पंछी
सब तेरी बदोलत है आज रघुवंशी
तू सूक्ष्म है और तू ही विशाल है
तू उत्तर है और तू ही सवाल है
तू ही सत्य बाकी ज़िन्दगी बिना सगी है
लागी मेरी तेरे संग लगी ओ मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
ध्यान में है मगन
तन पे ओढ़ कर के रे चोली
मुझे अपने रंग में रंग दे
संग खेल मेरे होली
ना आसन है नीचे ना है कोई खटोली
मुझे अपने रंग में रंग दे संग खेल मेरे होली
बस भी करो अब मेरे शंकरा
भांग रगड़ के बोली ये गौरा
तुम नहीं राजे हो गौरा लौट के रजी है
लागी मेरी तेरे संग लगी ओ मेरे शंकरा
लागी मेरी प्रीत तेरे संग मेरे शंकरा
“लागी लगन शंकरा” एक अत्यंत भावपूर्ण और भक्तिभाव से ओतप्रोत शिव भजन है जो श्रोता के मन को सीधे भोलेनाथ से जोड़ता है। इस भजन के बोलों में भगवान शिव के प्रति अनन्य भक्ति, आत्म-समर्पण और आत्मिक संबंध को अत्यंत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
भजन की शुरुआत में भक्त अपने आराध्य शिव को नमन करता है और कहता है कि “भोले बाबा तेरी क्या ही बात है।” यहाँ भाव यह है कि शिव दूर होकर भी हर क्षण साथ हैं — एक ऐसे परमात्मा जो अदृश्य होकर भी हर जगह विद्यमान हैं। यह अद्वितीय अनुभव बताता है कि शिव केवल देवता नहीं, बल्कि आत्मा के गहरे स्तर तक जुड़े एक दर्पण हैं जिसमें भक्त अपना प्रतिबिंब देखता है।
भजन में यह भाव भी है कि शिव न केवल ईश्वर हैं, बल्कि पिता समान हैं, जो हर गलती को हँसकर क्षमा कर देते हैं। उनके नाम का जप करने से मन की चंचलता दूर हो जाती है, और आत्मा को शांति का अनुभव होता है। “तेरे जाप से मन का, उड़ गया है रे पंछी” जैसे बोल इस आध्यात्मिक मुक्ति का प्रतीक हैं।
एक स्थान पर श्लोक के रूप में संस्कृत पंक्तियाँ भी दी गई हैं, जो शिव के चरणों की भक्ति से मिलने वाली शांति, सुख और संतापों के नाश की बात करती हैं। ये श्लोक भजन को और अधिक गहराई व आध्यात्मिक चेतना प्रदान करते हैं।
भजन के अंतिम भाग में शिव और पार्वती के बीच की मधुर लीला भी दर्शाई गई है, जहाँ गौरा (पार्वती) प्रेमपूर्वक शिव से कहती हैं कि अब भांग छोड़ दें। यह दृश्य भक्त को भक्ति और हास्य का अद्भुत संतुलन दिखाता है।
कुल मिलाकर, “लागी लगन शंकरा” केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक भक्त की अंतरात्मा से निकली पुकार है — समर्पण, प्रेम, और अद्वैत के भाव से भरी हुई। यह भजन हर उस व्यक्ति के हृदय को छूता है जो भोलेनाथ से सच्चे मन से जुड़ना चाहता है।
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