18 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी – लाभ, पहनने की विधि, मंत्र और सावधानियाँ।

18 मुखी रुद्राक्ष

18 मुखी रुद्राक्ष का परिचय:

18 मुखी रुद्राक्ष को माँ भुवनेश्वरी का स्वरूप माना जाता है। यह रुद्राक्ष भूमि सुख, स्थिरता, समृद्धि, शक्ति और शांति का अद्भुत संगम है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति न केवल भौतिक रूप से समृद्ध होता है, बल्कि उसके भीतर आध्यात्मिक संतुलन और मातृ ऊर्जा का जागरण होता है।

यह रुद्राक्ष विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो जमीन-जायदाद, स्थायी सुख, मातृ कृपा और आध्यात्मिक समृद्धि की कामना करते हैं।

18 मुखी रुद्राक्ष क्या है?

18 मुखी रुद्राक्ष वह दिव्य बीज होता है जिसमें अठारह मुख या धारियाँ होती हैं। यह अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली रुद्राक्ष है, जिसे भुवनेश्वरी कवच भी कहा जाता है। यह माँ प्रकृति की अनंत शक्ति और जीवन में स्थायित्व का प्रतीक है।

विशेषताएँ:

आकार: मध्यम से बड़ा, अंडाकार

रंग: गहरा भूरा या मिट्टी के रंग जैसा

ऊर्जा: मातृवत, सुरक्षा देने वाली और स्थिर

18 मुखी रुद्राक्ष के देवता

मुख्य देवता:

माँ भुवनेश्वरी – जगत जननी, शक्ति की अधिष्ठात्री देवी

पृथ्वी तत्व की देवी, जीवन में स्थायित्व और पोषण देने वाली

गुप्त शक्ति:

भूमि प्राप्ति, स्थिर धन, मातृ शक्ति का संरक्षण, आध्यात्मिक सुरक्षा

18 मुखी रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ

भूमि और स्थायित्व:

भूमि, मकान, संपत्ति खरीदने में सफलता

स्थायी निवास और सुख-सुविधा में वृद्धि

जमीनी विवाद, कोर्ट केस से राहत

आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन:

चित्त को शांत करता है

भावनात्मक अस्थिरता को समाप्त करता है

माँ की तरह संरक्षण देता है

आर्थिक और व्यवसायिक लाभ:

कृषि, जमीन, निर्माण, प्रॉपर्टी व्यवसाय में विशेष लाभ

धन की स्थायिता और बचत में वृद्धि

आय के नए साधनों की प्राप्ति

पारिवारिक सौहार्द और शक्ति:

गृहस्थ जीवन में प्रेम, स्थिरता और मातृत्व भाव

बच्चों की रक्षा और माताओं के लिए विशेष लाभकारी

गर्भधारण और पोषण में सहायक

किन लोगों को 18 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

जो भूमि, मकान या प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हों

जिनके जीवन में भावनात्मक या पारिवारिक अस्थिरता हो

जिनकी कुंडली में मंगल दोष, चंद्र या शुक्र दोष हो

महिलाएँ, गृहस्थ, किसान, भूमि व्यवसायी

जो मातृ शक्ति या देवी उपासना में लीन हैं

18 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि

शुभ दिन:

शुक्रवार, नवरात्रि, या पूर्णिमा के दिन

शुद्धिकरण विधि:

रुद्राक्ष को गंगाजल, दूध, शहद और गुलाब जल से स्नान कराएँ

लाल या पीले चंदन से तिलक करें

माँ भुवनेश्वरी के चित्र या यंत्र के सामने दीपक और पुष्प अर्पित करें

मंत्र जाप:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं भुवनेश्वर्यै नमः

(या)

ॐ नमो भगवती भुवनेश्वरी मातरम्

108 बार जाप करें और रुद्राक्ष को धारण करें

पहनने का तरीका:

चाँदी या सोने की चेन में, या पीले धागे में

गले या दाएँ हाथ में धारण करें

शुक्रवार के दिन नवरात्रि में धारण करना सर्वोत्तम

18 मुखी रुद्राक्ष पहनते समय सावधानियाँ

माँ जैसी शुद्धता और संयम रखें – मांस, मदिरा, क्रोध से बचें

शौच, स्नान या सहवास के समय इसे उतारें

दूसरों को स्पर्श न करने दें

नियमित रूप से गंगाजल से शुद्ध करें

देवी उपासना, माँ दुर्गा, या भुवनेश्वरी स्तुति का नित्य पाठ करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या 18 मुखी रुद्राक्ष से भूमि सुख की प्राप्ति होती है?

हाँ, यह विशेष रूप से भूमि, मकान, खेती-बाड़ी, संपत्ति और स्थायित्व से संबंधित सभी कार्यों में लाभ देता है।

क्या महिलाएँ इसे पहन सकती हैं?

बिलकुल! यह माँ भुवनेश्वरी का स्वरूप है – स्त्रियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।

क्या यह चंद्र या शुक्र दोष को शांत करता है?

जी हाँ, यह चंद्रमा और शुक्र दोनों के प्रभाव को संतुलित करता है, जिससे मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।

क्या यह नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाता है?

हाँ, यह मातृ शक्ति का कवच है – नकारात्मकता, भय और भूत-प्रेत बाधा से रक्षा करता है।

निष्कर्ष:

18 मुखी रुद्राक्ष जीवन की स्थिरता, समृद्धि और मातृत्व शक्ति का प्रतीक है।यह देवी भुवनेश्वरी की कृपा से जीवन को सुदृढ़, सुरक्षित और धन्य बनाता है।जो इसे श्रद्धा और संयम से धारण करता है, वह जीवन में संपत्ति, शांति, और माँ के संरक्षण को अनुभव करता है।

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